द्वन्द्व समास परिभाषा तथाभेद…

द्वन्द्व समास सूत्र..उभयपदप्रधानः द्वन्द्वः

द्वन्द्व समास..परिभाषा…जिस समास में दोनों पद समान रूप से प्रधान होते हैं, उसे द्वन्द्व समास कहते हैं।

इस समास में अव्ययीभाव और तत्पुरुष की तरह पहला या दूसरा पद प्रधान नहीं होता है।

इसके अन्तर्गत या और से जुड़े हुए दो या दो से अधिक संज्ञाओं का समास होता है।

इस समास में विग्रह करने पर संस्कृत भाषा में का प्रयोग होता है। तथा हिंदी भाषा में और का प्रयोग होता है।

समास करते समय तथा और का लोप कर दिया जाता है।

संपूर्ण पद का लिङ्ग बाद वाले पद के अनुसार होता है।

जैसे.. संस्कृत भाषा में….

मातापितरौमाता पिता

हिन्दी भाषा में..

मातापितामाता और पिता

द्वन्द्व समास के भेद..

द्वन्द्व समास के मुख्यतः तीन भेद हैं..

1.इतरेतर द्वन्द्व

2..समाहार द्वन्द्व

3..एकशेष द्वन्द्व

इतरेतर द्वन्द्व…

इस समास में दो या दो से अधिक पदों का योग होता है। इसमें आई हुई संज्ञाएं अपनी प्रधानता तथा पृथक व्यक्तित्व रखती हैं इसलिए इसे इतरेतर द्वंद्व कहते हैं।

जैसे .. रामश्च कृष्णश्च = रामकृष्ण

इस उदाहरण में आये हुए दोनों पदों का अपना पृथक व्यक्तित्व है तथा दोनों पद प्रधान हैं।

इस समास में यदि दो पद हैं तो समस्त पद द्वि वचन में होता है , यदि दो से अधिक पद हों समस्त पद बहुवचन में बनता है। जैसे…..

1…रामलक्ष्मणौ इसमें दो पद हैं अतः यह द्विवचन में है।

2.. रामश्च भरतश्च लक्ष्मणश्च रामभरतलक्ष्मणाः इस उदाहरण में तीन पद हैं अतः समस्त पद बहुवचन में हुआ।

इस द्वन्द्व समास में जो भी अन्तिम पद होता है, उसी के अनुसार पूरे समास का लिङ्ग होता है।

इतरेतर द्वन्द्व समास के संस्कृत में उदाहरण..

समस्त पदविग्रह
गंगायमुनेगंगा च यमुना च
शिवरामौशिवश्च रामश्च
ब्रह्मा-विष्णुः-महेशा:ब्रह्मा च विष्णुः च महेशः च
आम्रनिम्बपलाशाःआम्रश्च निम्बश्च पलाशश्च्
दम्पत्ति /जायापतिजाया च पतिश्च
धवखदिरौधवश्च खदिरश्च
धर्मार्थकाममोक्षाःधर्मश्च,अर्थश्च,कामश्च,मोक्षश्च
वसन्तग्रीष्मशिशिराःवसन्तश्च ग्रीष्मस्च शिशिरश्च
वसन्तग्रीष्मौवसन्तश्च ग्रीष्मस्च
लवकुशौलवश्च कुशश्च
फलपुष्पाणिफलानि च पुष्पाणि च
पशुपक्षिणःपशवः च पक्षिणः च
रामसीतेरामः च सीता च
मयूरीकुक्कुटौमयूरी च कुक्कुटश्च
होतृपोतोद्गातारःहोता च पोता च उद्गाता च
मित्रावरुणौमित्रश्च वरुणश्च

हिन्दी में उदाहरण….

धर्माधर्मधर्म और अधर्म
पाप -पुण्यपाप और पुण्य
भला – बुराभला और बुरा
एड़ी- चोटीएड़ी और चोटी
गौरी -शंकरगौरी और शंकर
आगा -पीछाआगा और पीछा
धनुष -बाणधनुष और बाण
राधा -कृष्णराधा और कृष्ण
देवासुरदेव और असुर
भाई -बहनभाई और बहन
रात-दिनरात और दिन
लेन-देनलेन और देन
देश-विदेशदेश और विदेश
हरि-शंकरहरि और शंकर
भरत- शत्रुघ्नभरत और शत्रुघ्न
ऋषि- मुनिऋषि और मुनि
गाय-बैलगाय और बैल
माँ- बापमाँ और बाप
दिन-रातदिनऔर रात
आकाश-पातालआकाशऔर पाताल

समाहार द्वन्द्व समास …

समाहार का अर्थ है समूह……जब् समास में ऐसी संज्ञाएं आयें ,जो च से जुड़ी हुई होने पर अपना अर्थ तो बताते हैं , पर प्रधानतया समाहार ..समूह का बोध कराती हैं, तब वह समाहार द्वन्द्व कहा जाता है।

इस द्वन्द्व समास में दोनों पद के बीच में और या च रहता हैं, फिर भी पृथक-पृथक अस्तित्व न रख कर समूह का बोध कराते हैं ,क्योंकि…

इस समास में जो दोनों पद होते हैं , उनके अतिरिक्त अन्य पद भी छिपे हुए रहते हैं, अर्थात वे अपने अतिरिक्त अन्य पदों का भी बोध कराते हैं।

जैसे .. मैं अपने छोटे से वेतन में घर की दाल रोटी चला लेता हूं। इस वाक्य में आए हुए सामासिक पद “दाल रोटी” खाने की अन्य चीजों का भी बोध कराते हैं। इसी

इसी तरह संस्कृत भाषा में.

पाणी च पादौ च = पाणिपदम् इस उदाहरण में हाथ और पैर के अतिरिक्त प्रधान रूप से अन्य अङ्ग का भी बोध होता है।

आहारश्च निद्रा च भयञ्च् = आहारनिद्राभयम् ..इस उदाहरण में आहार निद्रा और भय का अपना अर्थ है, पर यह जीवों के स्वभाव के बारे में भी पता चल् रहा है।

यह समास सदा नपुंसक लिङ्ग एक वचन में होता है।

प्राणी, वाद्य, सेना के अंगों, स्वाभाविक वैर रखने वाले प्राणियों में यह समास होता है।

समाहार द्वन्द्व के संस्कृत में उदाहरण..

हस्तपादंहस्तौ च पादौ च
भेरीपटहम्भेरी च पटहश्च
रथाश्वम्रथाश्च अश्वाश्च
मूषकमार्जाराम्मूषकाः च मार्जाराः च
अहिनकुलंअहिश्च नकुलश्च
अहोरात्रःअहश्च रात्रिश्च
गोधूमचणकम्गोधूमश्च चणकमश्च
अधरोत्तरम् / अधरोत्तरेअधरम् च उत्तरम् च
पाणिपादम्पाणी च पादौ च
सर्पनकुलम्सर्पश्च नकुलश्च

समाहार द्वन्द्व के हिन्दी में उदाहरण..

आहार निद्राआहार और निद्रा
दाल रोटीदाल और रोटी
हाथ पांवहाथ और पांव
अन्न जलअन्न और जल
रुपया पैसारुपया और पैसा वगैरह
घर आंगनघर और आंगन (परिवार)
घर द्वारघर और द्वार (परिवार)
नहाया धोयानहाया और धोया आदि
कपड़ा लत्ताकपड़ा और लत्ता वगैरह
नोन तेलनोन और तेल आदि
खाना पीनाखाना और पीना
सांप बिच्छूसांप और बिच्छू आदि
जीव जंतुजीव और जंतु वगैरह
आना जानाआना और जाना वगैरह

एकशेष द्वन्द्व…

जब दो या दो से अधिक पदों में समास करने पर सामासिक पद में केवल एक ही शेष रह जाता है तो उसे एकशेष द्वन्द्व कहते हैं।

नोट..एकशेष द्वन्द्व में केवल समान रूप वाले शब्द होते हैं।

समास का वचन समास में आये हुए शब्दों की संख्या के अनुसार होगा।

यदि समास में पुलिङ्ग् तथा स्त्रिलिङ्ग् शब्द दोनों हों तो सामासिक पद पुलिङ्ग् में रहेगा।

जैसे..

रामौरामश्च रामश्च
हंसौहन्सी च हंसश्च्
युवानीयुवती च युवा च
पितरौमाता च पिता च
भ्रातरौभ्राता च स्वसा च इति
पुत्रौपुत्रश्च दुहिता(पुत्री ) च
शूद्रौशूद्री च शूद्रश्च
अजौअजा च अजश्च
चटकौचटका च चटकश्च
श्वसुरौश्वश्रूश्च श्वसुरश्च
रामाःरामश्च रामश्च रामश्च इति

नोट…कभी कभी विपरीत अर्थ वाले या परस्पर विरोधी पदों का भी योग हो जाता है। जैसे..

चढ़ा-ऊपरी

लेन- देन

आगा -पीछा

चूहा -बिल्ली

शीतोष्ण

जब दो विशेषण पदों का संज्ञा अर्थ में समास होता है तो समाहार द्वंद्व होता है ।

जैसे… भूखे -प्यासे को निराश नहीं करना चाहिए।

इस समाज में अंधे -बहरे लोग रहते हैं।

लंगड़े लूले यह काम नहीं कर सकते।

पर ध्यान रखने वाली बात ये है कि वाक्य में आए हुए दोनों पद यदि विशेषण के रुप में प्रयुक्त हैं तो वह द्वंद्व समास नहीं होता है, बल्कि वह कर्मधारय समास होता है।

जैसे .. भूखा प्यासा बच्चा रो रहा था। .. इस वाक्य में भूखा प्यासा ये दोनों पद बच्चे के विशेषण हैं , अतः यहां द्वंद्व समास नहीं है।

हिंदी भाषा में द्वंद्व समास का एक और प्रकार देखा जाता है… वह है वैकल्पिक द्वंद्व

वैकल्पिक द्वंद्व..

जिस द्वंद्व समास में दो पदों के बीच या , वा ,अथवा आदि विकल्प सूचक , समुच्चय बोधक अव्यय छिपे होते हैं, उन्हें वैकल्पिक द्वंद्व कहते हैं। समास करने पर इन अव्ययों का लोप हो जाता है।

जैसे..

धर्माधर्मधर्म या अधर्म
सत्यासत्यसत्य या असत्य
छोटाबड़ाछोटा या बड़ा
थोड़ाबहुतथोड़ा या बहुत
ठंडा गरमठंडा या गरम
हां नाहां या ना
लाभालाभलाभ या अलाभ
जोड़ तोड़जोड़ना या तोड़ना

द्वन्द्व समास के कुछ विशेष नियम…

1..इस समास में इकारान्त तथा उकारान्त शब्द पहले आते हैं। जैसे.. हरिश्च हरश्च इति =हरिहरौ इसमें हरि इकारान्त है अतः पहले आया है।

भानुश्च रामश्च इति = भानुरामौ इसमें भानु उकारान्त है अतः पहले आया है।

2..यदि किसी पद में अनेक इकारान्त तथा उकारान्त पद हों , तो एक इकारान्त या उकारान्त पहले रखा जाता है , शेष इच्छानुसार रखे जा सकते हैं। जैसे..

हरिश्च हरश्च भानुश्च इति..हरिहरभानवः या हरिभानुहराः

इ से आरम्भ होने वाले तथा अ से समाप्त होने वाले शब्द द्वन्द्व समास में पहले आते हैं।

जैसे.. इन्द्रश्च यमश्च इति = इन्द्रयमौ

इन्द्रश्च अग्निश्च इति = इन्द्राग्नी

ईश्वरश्च प्रकृतिश्च इति =ईश्वरप्रकृती

4..वर्णो तथा भाईयों के नाम जयेष्ठ ( बड़े से छोटे) के क्रम में आने चाहिए।

जैसे.. ब्रह्मणश्च क्षत्रियश्च = ब्रह्मणक्षत्रियौ

(क्षत्रिय ब्रह्मण नहीं )

रामश्च लक्ष्मणश्च = रामलक्ष्मणौ

लक्ष्मण राम नहीं

युधिष्ठिरश्च अर्जुनश्च = युधिष्ठिरअर्जुनौ

अर्जुन युधिष्ठिर नहीं

5.. जिस शब्द में कम अक्षर हों वह पहले आना चाहिये।

जैसे.. शिवश्च केशवश्च = शिवकेशवौ

केशव शिव नहीं

शिव में दो अक्षर हैं केशव में तीन , अतः शिव पहले आया।

………….

तत्पुरुष समास के लिये इसे पढ़िए…

अव्ययीभाव समास के लिये इसे पढ़िए…

कर्मधारय समास के लिये इसे पढ़िए

बहुब्रीही समास के लिये इसे पढ़िए

द्विगु समास के लिये इसे देखिये..

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