अनीयर् प्रत्यय.परिचय/Aniyar Pratyaya

अनीयर् प्रत्यय वर्तमान कालिक प्रत्यय है।इस प्रत्यय का प्रयोग योग्यता अर्थ में तथा चहिए अर्थ में होता है।

जैसे… योग्यता अर्थ में….

उसका कार्य प्रशंसनीय है ..अर्थात प्रशंसा के योग्य है।

चहिए अर्थ में … तुम्हें पढ़ना चाहिए।

इस प्रत्यय का प्रयोग प्रायः सभी धातुओं के साथ हो सकता है।

इसका प्रयोग भी तव्यत प्रत्यय की भांति कर्म वाच्य तथा भाव वाच्य में होता है।

जब वाक्य में कर्म वाच्य का प्रयोग होता है, तब…

कर्ता तृतीया विभक्ति में बदल जाता है। कर्म प्रथमा विभक्ति में परिवर्तित हो जाता है।

अर्थात…सामान्य वाक्य में जो कर्ता प्रथमा में होता है वह् इस प्रत्यय के प्रयोग में तृतीया में बदल जाता है।

क्रिया के लिङ्ग और वचन कर्म के अनुसार होते हैं। कर्ता के कारण क्रिया में कोई परिवर्तन नहीं होता है।

अकर्मक धातु के साथ अनीयर् प्रत्यय भाव वाच्य में होता है ..

अकर्मक धातु के साथ जब इस प्रत्यय का प्रयोग होता है, तब वाक्य में कर्म नहीं होता है , कर्ता तृतीया विभक्ति में तथा क्रिया सदा नपुंसक लिङ्ग एक वचन में होती है।

अनीयर् के र् वर्ण का लोप हो जाता है , तथा धातु के साथ अनीय जुड़ता है। इस प्रकार अनीयर प्रत्यय का पुलिङ्ग् में अनीय स्त्रीलिङ्ग में अनीया तथा नपुंसक लिङ्ग में अनीयम् हो जाता है।

धातु से अनीयर् प्रत्यय लगने पर, यदि धातु में इ,उ,ऋ,लृ में से कोई स्वर है, तो इन स्वरों को गुण हो जाता है..अर्थात

इ = ए

उ = ओ

ऋ = अर्

लृ = अल् …हो जाता है।

जैसे.. लिख् + अनीयर् = लेखनीय……यहां लिख् धातु में जो स्वर है, वह गुण हो करहो गया।

श्रु + अनीयर् = श्रवणीय…

इस उदाहरण में पहले उ, ओ में परिवर्तित हुआ है , तत्पश्चात ओ + अनीय = में अयादि संधि हो कर अव हुआ इस प्रकार श्रवणीय बना।

इस प्रत्यय से बने शब्दों के रूप पुलिंग में राम की तरह , स्त्रीलिंग में रमा की तरह तथा नपुंसक लिंग में फल की तरह रुप चलता है।

पुलिङ्ग् रूप..

पठनीयःपठनीयौपठनीयाः

स्त्रिलिङ्ग् रूप…

पठनीयापठनीयेपठनीयाः

नपुंसकलिङ्ग रूप…

पठनीयंपठनीयेपठनीयानि

धतुओं के साथ अनीयर् प्रत्यय से बने शब्द

धातु+प्रत्ययधातु का अर्थबने शब्द
अद्खानाअदनीय
अस्होनाभवनीय
आप्पानाआपनीय
जानाअयनीय
अधि इपढ़नाअध्येय
अर्च्पूजा करनाअर्चनीय
कृकरनाकरणीय
क्रीखरीदनाक्रयणीय
कुप्क्रोध करनाकोपनीय
कृष्जोतनाकर्षणीय
क्षम्क्षमा करनाक्षमणीय
क्षिप्फेंकनाक्षेपनीय
खाद्खानाखादनीय
गम्जानागमनीय
गैगानागानीय
ग्रह्ग्रहण करनाग्रहणीय
घ्रासूंघनाघ्राणीय
चल्चलनाचलनीय
चिचयन करनाचयनीय
चुर्चुरानाचोरणीय
चिन्त्सोचनाचिन्तनीय
छाद्ढकनाछादनीय
छिद्कटनाछेदनीय
जन्पैदा करनाजननीय
जिजीतनाजयनीय
ज्ञाजाननाज्ञानीय
त्यज्छोड़ना त्यजनीय
दिव्चमकनादेवनीय
दुह्दुहनादोहनीय
धाधारण करनाधानीय
नम्झुकनानमनीय
नश्नष्ट होनानशनीय
नीले जानानयनीय
पठ्पढ़नापठनीय
पूज्पूजनापूजनीय
पच्पकानापचनीय
प्रच्छ्पूछनाप्रच्छनीय
कथ्कहनाकथनीय
दृश्देखनादर्शनीय
दादेनादानीय
नीले जाना नयनीय
नृत्नाचनानर्तनीय
पत्गिरनापतनीय
पापीनापानीय
पाल्पालन करनापालनीय
भूहोनाभवनीय
भृभरण करनाभरणीय
भीडरनाभयनीय
भक्ष्खानाभक्षणीय
भ्रम्घूमनाभ्रमणीय
मन्माननामननीय
मुच्छोड़नामोचनीय
मुद्प्रसन्न होनामोदनीय
याच्मांगनायाचनीय
युध्लड़नायोधनीय
युज्मिलानायोजनीय
रम्रमण करनारमणीय
रक्ष्रक्षा करनारक्षणीय
रुद्रोनारोदनीय
रुद्रोकनारोधनीय
लभ्पानालभनीय
लिख्लिखनालेखनीय
वच्कहनावचनीयः
विद्जाननावेदनीय
वद्बोलनावदनीय
वस्रहनावसनीय
वह्वहन करनावहनीय
शीसोनाशयनीय
शक्सकनाशकनीय
शास्शिक्षा देनाशासनीय
श्रुसुननाश्रवणीय
सह्सहन करनासहनीय
सृज्सृष्टि करनासर्जनीय
स्थाठहरनास्थानीय
स्मृयाद करनास्मरणीय
हन्मारनाहननीय
हस्हंसनाहसनीय
हृहरण करनाहरणीय
हुहवन करनाहवनीय
हाछोड़नाहानीय

अनीयर् युक्त शब्दों के वाक्य….

1..त्वया पुस्तकम् पठनीयम्।

2..मया पुस्तकानि पठितव्यानि।

3..रमया ग्रन्थः पठनीया।

4..कलहः न करणीयः।

5..प्रातः उत्थाय ईश्वर: भजनीयः।

6..राज्ञा दुष्टाय दण्डनीयः।

7..सर्वे स्वधर्मः अनुसरणीयः।

8..गुरुणा योग्यः शिष्यः पाठनीयः।

9..युवाभ्याम् निश्चितसमये पाठाः स्मरणीयाः।

10..बालकैः फलानि भोजनीयानि।

11..जनैः स्वस्थ्याय निर्मलं जलम् पानीयं।

12..पुत्रेण पितरौ सेवनीयौ।

13..त्वया धनं दानीयं।

14..भृत्येण स्वामी सेवनीयः।

15..स्वास्थ्यलाभाय प्रतिदिनं व्यायामम् करणीयम् ।

16..नृपेण प्रजाः पालनीयाः।

17..मुनिभिः तपः करणीयः।

1..रामेण शयनीयं।

2..बालकेन् स्थानीयं।

3..तेन् पठनीयं।

अनीयर् से बने शब्द विशेषण के रूप में भी प्रयुक्त होते हैं। इन पदों के लिङ्ग , विभक्ति तथा वचन अपने विशेष्य की तरह होते हैं।

विशेषण के रूप में प्रयुक्त होने पर इनके अर्थ.. पढ़ने योग्य, देखने योग्य , सुनने योग्य की तरह होता है। जैसे…

1..काशी दर्शनीया पुरी अस्ति।

काशी देखने योग्य पुरी है।

इस वाक्य में विशेष्य पुरी के अनुसार vish

2.. दानीयः विप्रः।

दान के योग्य विप्र।

इस वाक्य में विशेष्य विप्र पुलिङ्ग् एक वचन में है, अतः विशेषण दानीयः भी पुलिङ्ग् एक वचन में है।

3..रमणीया सृष्टिः।

सुन्दर सृष्टि

इस वाक्य में सृष्टि स्त्री लिङ्ग एक वचन में है, अतः रमणीया भी स्त्रिलिङ्ग् एक वचन में प्रयुक्त हुआ है।

4..आचरणीयम् कर्म।

आचरण करने योग्य कर्म

5..श्रवनीयम् गीतं।

सुनने योग्य गीत।

6..श्रवणीयस्य रामचरितस्य श्रवणेन रसस्य प्राप्तिः भवति।

सुनने योग्य रामचरितमानस के सुनने से रस की प्राप्ति होती है।

7..कीदृशं रमणीयम् उद्यानम्।

8..चयनीयानि पुष्पाणि।..चुनने योग्य पुष्प।

तव्यत् प्रत्यय के लिये इसे देखिये…

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