बहुब्रीहि समास परिभाषा तथा भेद

जिस समास में आए हुए दो पदों में से कोई भी पद प्रधान न हो और उनसे बना हुआ सामासिक पद अपने पद से भिन्न किसी अन्य संज्ञा का विशेषण होता है , उसे बहुब्रीहि समास कहते हैं।

बहुब्रीहि समास में सामासिक पद को छोड़ कर कोई अन्य पद ही प्रधान होता है। अर्थात ये किसी अन्य पद के विशेषण होते हैं।

इस समास में आये हुए जो दोनों पद होते हैं उनमें पहला पद , दूसरे पद का विशेषण होता है। जैसे

पीतांबरम् = पीतं अम्बरं यस्य सः = कृष्णः

पीतांबर = पीला वस्त्र है जिसका = कृष्ण

विग्रह करते समय यत् शब्द के किसी (यस्य, ये न, यस्मिन् ) रूप का प्रयोग करना होता है।

नोट..बहुब्रीहि समास में अन्य पद प्रधान होता है , अतः उत्तर पद का अपना निजी लिङ्ग समासान्त पद में नहीं रहता है। वह उस अन्य पद के समान ही रहता है।

जैसे.. दृढ़ा प्रतिज्ञा यस्य स इति= दृढ़प्रतिज्ञः पुरुषः

दृढ़ है प्रतिज्ञा जिसकी ऐसा पुरुष

दृढ़ा प्रतिज्ञा यस्याः सा इति दृढ़प्रतिज्ञा स्त्री

बहुब्रीहि समास के भेद..

1..सामानाधिकरण बहुब्रीहि

2..व्यधिकरण बहुब्रीहि

संस्कृत भाषा में दो और भेद बताए गए हैं…

3..तुल्ययोग बहुब्रीहि / सह बहुब्रीहि

4..व्यतिहार बहुब्रीहि

समानाधिकरण बहुब्रीहि..

जिस बहुब्रीहि समास में दोनों पदों में समान विभक्ति होती है उसे समानाधिकरण बहुब्रीहि कहते हैं।

इस समास के दोनों पद एक ही अधिकरण अर्थात एक ही विभक्ति में होते हैं। जो प्रथमान्त अर्थात प्रथमा विभक्ति कर्ता कारक में होते हैं।

जैसे…पीतांबरम् = पीतं अम्बरं यस्य सः = कृष्णः

इस उदाहरण में पीतं तथा अम्बरं दोनों पद प्रथमा विभक्ति में हैं अर्थात समान विभक्ति में हैं तथा पीत और अम्बर दोनों मिल कर कृष्ण के बारे में सूचित कर रहे हैं।

इनके द्वारा बना हुआ समस्त पद जो किसी अन्य का बोधक होता है , वह कर्म,करण, संप्रदान, आपादान, संबन्ध , अधिकरण आदि विभक्ति रूपों में भी हो सकता है।

इसका विग्रह करते समय यत् शब्द के द्वितीया आदि विभक्तियों का प्रयोग होता है क्योंकि समास में आये हुए शब्द किसी अन्य शब्द से ही संबन्ध रखते हैं।

संस्कृत उदाहरण….
सामासिक पदसमास विग्रह
प्राप्तधनंप्राप्तं धनं यम् सः पुरुषः
लब्ध्कीर्तिःलब्धा कीर्तिः येन सः
युक्तयोगःयुक्तो योगो येन सः पुरुषः
दत्तराज्यःदत्तं राज्यं यस्मै सः पुरुषः
गृहीतजलागृहीतं जलम् यस्याः सा नदी
यशोधनःयशः एव धनं यस्य राजा
विमूढधीविमूढा धीः यस्य सः
महात्मनाम्महान् आत्मा येषां
विज्ञछात्रःविज्ञाः छात्राः यस्मिन् सः विद्यालयः
सुहृतशोभनम् हृदयं यस्य सः
दुर्ह्रितदुष्टं हृदयं यस्य सः
रम्यपथःरम्यः पन्थाः यस्य सः
रूपवद्भार्यारूपवती भार्या यस्य सः
सुशीलमातृकःसुशीला माता यस्य सः
शिवकर्तृकःशिवः कर्ता यस्य सः

बहुब्रीहि समास के कुछ अन्य उदाहरण…

अपुत्रः = अविद्यमान पुत्रः यस्य सः पुरुषः

प्रपर्णः = प्रपतितानि पर्णानि यस्य स….वृक्षः

विधवा: = विगतः धवः यस्याः सा इति….स्त्री

चित्रगुः = चित्रा गावः यस्य सः

वामोरू भार्यः = वामोरु भार्या यस्य सः

कल्याणी पञ्चमा:= कल्याणी पञ्चमी यासां रात्रीणाम ताः

स्त्री प्रमाणः = स्त्री प्रमाणी यस्य सः

जलजाक्षी = जलजे इव अक्षिणी यस्याः सा

द्विमूर्धः = द्वौ मूर्धानौ यस्य सः

त्रिमूर्धः = त्रयः मूर्धानः यस्य सः

द्विपात् = द्वौ पादौ यस्य सः

सुपात् = शोभनौ पादौ यस्य सः

उत्काकुत् = उद्गतम् काकुदं यस्य सः

व्यूढ़ोरस्कः = व्यूढं उरो यस्य सः

महायशस्कः = महद् यशो यस्य सः

महायशाः = महत् यशः यस्य सः

सुगन्धि:= शोभनः गन्धः यस्य सः

हिन्दी उदाहरण….

सामासिक पदविग्रह
कलहप्रिय कलह है प्रिय जिसको वह
जितेन्द्रिय जीती गईं हैं इन्द्रियां जिससे वह
दत्तधन दिया गया है धन जिसको वह
नीलकण्ठ = शंकर नीला है कण्ठ जिसका वह
पीतांबर = कृष्णपीत है अम्बर जिसका वह
प्रप्तोदकप्राप्त है उदक जिसे
नेकनाम नेक है नाम जिसका
जितेंद्रियजीती है इंद्रियां जिसने
दिगम्बर दिक् है अम्बर जिसका
निर्धन निर्गत है धन जिससे
दत्तभोजनदत्त है भोजन जिसे
चतुराननचार है आनन जिसके
वज्रायुधवज्र है आयुध जिसका
सहस्त्रकर सहस्त्र है कर जिसका
चतुर्भुजचार हैं भुजाएं जिसकी
सतखण्डासात हैं खण्ड जिसमें वह (महल )
चौलड़ीचार है लड़ियां जिसमें वह (माला)
दशाननदश हैं आनन जिसके वह (रावण)
नीलांबरनीला है अंबर जिसका वह
शान्तिप्रियशांति है प्रिय जिसे वह
दीर्घकेशादीर्घ हैं केश जिसके वह..स्त्री

व्यधिकरण बहुब्रीहि समास …

जिस बहुब्रीहि समास में विग्रह करते समय दोनों पद भिन्न भिन्न विभक्ति में होते हैं, उस समास को व्यधिकरण बहुब्रीहि कहते हैं।

इस समास के दोनों पदों में से एक पद प्रथमा विभक्ति में होता है , और दूसरा पद षष्ठी या सप्तमी विभक्ति में होता है।

जैसे..

चन्द्रः शेखरे यस्य सः चन्द्रशेखरः अर्थात शिव

इस उदाहरण में प्रथम पद चन्द्रः प्रथमा विभक्ति में है, तथा शेखरे सप्तमी विभक्ति में है। अर्थात दोनों अलग अलग विभक्ति में हैं।

चन्द्रशेखरःचन्द्रः शेखरे यस्य सः शिवः
चक्रपाणिःचक्रं पाणौ यस्य सः विष्णुः
चन्द्रकन्तिःचन्द्रस्य कान्तिः इव कान्तिः यस्य सः पुरुषः
गदाहस्तःगदा हस्ते यस्य सः भीमः
मृगनयनीमृगस्य नयने इव नयने यस्याः सा स्त्री
पीयुषपाणि:पीयुष पाणौ यस्य सः वैद्यः
उपदशाःदशानां समीपे ये सन्ति ते
कण्ठेकालःकण्ठे कालः यस्य सः
हस्तिपादःहस्तिन इव पादौ यस्य सः
व्याघ्रपादव्याघ्रस्य इव पादौ यस्य सः
कमलगन्धिकमलस्य इव गन्धः यस्मिन् तत् पुष्पं
गलबद्ध शृगालकःगले बद्धः शृगालकः

व्यधिकरण बहुब्रीहि..हिन्दी उदाहरण…

शूलपाणि….शूल है पाणि (हाथ ) में जिसके

वीणापाणि….वीणा है पाणि में जिसके

चन्द्रवदन…चन्द्र है वदन पर जिसके

चन्द्रभाल…चन्द्र है भाल पर जिसके

तुल्ययोग बहुब्रीहि समास …

जब् बहुब्रीहि समास में साथ अर्थ वाले सह का समास होता है , तब तुल्ययोग बहुब्रीहि होता है। जैसे…

पुत्रेण सह इतिसपुत्रः /सहपुत्रः
अर्जुनेन सह इतिसार्जुनः/सहार्जुनः
भार्यया सह इतिसभार्यः/सहभार्यः
कुटुम्बेन सह इतिसकुटुम्बः/सहकुटुंबः
सीतया सह इतिससीतः ( रामः )

हिंदी उदाहरण..

सबलबल के साथ है जो वह
सदेहदेह के साथ है जो वह
सपरिवारपरिवार के साथ है जो वह
सचेतचेतना के साथ है जो वह
सफलफल के साथ है जो वह
सकुशलकुशल के साथ है जो वह
सपत्नीकपत्नी के साथ है जो वह

व्यतिहार बहुब्रीहि..

आपस में युद्ध लड़ाई आदि का ज्ञान कराने वाले सप्तमी अंत या तृतीया अंत वाले पदों में जो समास होता है, उसे व्यतिहार बहुब्रीहि कहते हैं। जैसे….

  • हस्ताभ्यां हस्ताभ्यां प्रवृत्तम् युद्धम् = हस्ताहस्ति

हाथों से प्रवृत्त हुआ युद्ध

  • दण्डैः दण्डैः कृत्वा प्रवृत्तं युद्धं = दण्डादण्डि

डंडों को ले कर प्रवृत्त हुआ युद्ध

हिन्दी उदाहरण..

मुक्कामुक्की.. मुक्के मुक्के से जो लड़ाई हुई

लाठालाठी… लाठी लाठी से जो लड़ाई हुई

बाताबाती…. बात बात से जो लड़ाई हुई

डंडाडंडी…. डंडे डंडे से जो लड़ाई हुई

केशाकेशी…. केश केश से जो हुई लड़ाई

नोट…उपमा द्योतक इव आदि के होने पर भी बहुब्रीहि समास होता है।

जैसे..चन्द्रः इव वदनः यस्याः सा = चन्द्रवदनी

नोट..यदि इस समास का उत्तर पद या दूसरा पद ऋकारान्त या ईकारान्त हो तो सामासिक पद के अन्त में क जोड़ दिया जाता है।

जैसे…विज्ञः पिता यस्य सः इति विज्ञपितृकः

इस उदाहरण में दूसरा पद पितृ ऋकारान्त है , अतः पद के अन्त में क जुड़ गया ।

तत्पुरुष समास के लिये इसे देखिये.

कर्मधारय समास के लिये इसे देखिये..

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *