द्विगु समास परिचय व भेद ..

जिस समास में पूर्व पद संख्यावाचक हो, तथा दूसरा पद संज्ञा, उस समास को द्विगु समास कहते हैं।

यदि दोनों पद संख्यावाची होगा तो वह द्विगु समास नहीं होगा।

द्विगु समास, कर्मधारय का ही एक प्रकार माना जाता है।

द्विगु शब्द में ही प्रथम पद द्वि संख्यावाचक है,तथा दूसरा पद गु (गो) एक संज्ञा है, जिसका अर्थ है दो गायों का समूह।

समास विग्रह करने पर इसके दोनों पद षष्ठी बहुवचन में होते हैं तथा अन्त में समाहार जोड़ा जाता है।

इस समास से युक्त पद ,नपुंसक लिंग या स्त्री लिंग में होता है।

द्विगु समास के तीन भेद किए गए हैं…

१..समाहार द्विगु

२…तद्धितार्थ द्विगु ..

३…उत्तरपद द्विगु

नोट.. तद्धितार्थ द्विगु संस्कृत भाषा में है।

समाहार द्विगु समास…

समाहार का अर्थ समूह होता है। जब द्विगु किसी समूह का द्योतक होता है तब उसे समाहार द्विगु कहते हैं।

जैसे…

पञ्चानाम् गवानाम् समाहारः =पञ्चगवम् .. पांच गायों का समाहार (समूह)

इस समास में बना हुआ सामासिक पद नपुंसक लिङ्ग या स्त्रीलिङ्ग एक वचन में होता है।

पञ्चपात्रम् = पञ्चानां पात्राणाम् समाहारः

द्विगु समास के संस्कृत में उदाहरण

सामासिक पदसमास विग्रह
पञ्चपात्रम्पञ्चानां पात्राणाम् समाहारः
पञ्चगवम्पञ्चानां गवानां समाहारः
पञ्चनदम्पञ्चानां नदीनां समाहारः
सप्तशतीसप्तानां शतीनां समाहारः
सप्ताहःसप्तानां अह्नानां समाहारः
त्रिपथम्त्रयाणां पथानाम् समाहारः
त्रिभुवनंत्रयाणां भुवानां समाहारः
द्विरात्रम्द्वयोः रात्र्योः समाहारः
पञ्चखट्वंपञ्चानां खट्वानां समाहारः
पञ्चखट्वीपञ्चानां खट्वानां समाहारः
शताब्दीशतानां अब्दानां समाहारः
सप्तर्षिःसप्तानां ऋषीणां समाहारः
चतुर्युगम्चतुर्णाम् युगानां समाहारः
चतुष्पथम्चतुर्णाम् पथानां समाहारः
पञ्चगङ्गम्पञ्चानां गङ्गानाम् समाहारः
द्वियमुनंद्वयोः यमुनयोः समाहारः

वट , लोक तथा मूल आदि अकारान्त अर्थात अ अन्त वाले शब्दों के साथ समास होने पर समस्त पद ईकारान्त स्त्रीलिङ्ग हो जाता है।

जैसे…

पञ्चमूलीपञ्चानाम् मूलानां समाहारः
पञ्चवटीपञ्चानां वटानां समाहारः
त्रिलोकीत्रयाणाम् लोकानां समाहारः
अष्टाध्यायीअष्टानां अध्यायानां समाहारः

तद्धितार्थ द्विगु…

जब द्विगु समास तद्धित से युक्त होता है, तब उसे तद्धितार्थ द्विगु कहते हैं। इस समास में दिशा तथा संख्या दोनों ही प्रथम पद हो सकते हैं। उदाहरण..

पञ्चगुःपञ्चभिः गोभिः क्रीतः
पञ्चकपालःपञ्चसु कपालेषु संस्कृतिः पुरोडासः
षण्मातुरःषण्णां मातृणां समाहारः
पौर्वशालःपूर्वस्यां शालायाम् भवः

उत्तर पद प्रधान द्विगु…

इस समास का दूसरा पद प्रधान होता है, तथा पहला पद संख्या वाची। विग्रह करते समय इसमें समाहार नहीं जोड़ा जाता है।

जैसे.. पंचप्रमाण= पंच प्रमाण

द्वि पुरूष श्रुतम्द्वाभ्यां पुरुषाभ्यां श्रुतम्
त्रिमास जातःत्रयाणां मासानां जातः
चतुर्हस्तप्रमाणःचत्वारः हस्ताः प्रमाणः
त्रिपथगात्रिभिः पथिभिः गच्छति
पञ्चगवधनम्पंचगावो धनं यस्य

समाहार द्विगु समास के हिन्दी उदाहरण…

पंचवटीपांच वटों का समूह
पंचवदनपांच वदनों का समाहार
पंचतंत्रपांच तंत्रों का समाहार
पंसेरीपांच सेरों का समाहार
नवरत्ननव रत्नों का समूह
नवरात्रिनव रातों का समाहार
त्रिभुवनतीन भुवनों का समाहार
त्रिकालतीन कालों का समाहार
त्रिफलातीन फलों का समाहार
त्रिपादतीन पादों का समाहार
चवन्नीचार आनों का समाहार
नवग्रहनव ग्रहों का समाहार
अष्टधातुआठ धातुओं का समाहार
अष्टाध्यायीआठ अध्यायों का समाहार
तिमाहीतीन माहों का समाहार
तिरंगातीन रंगों का समाहार
तिकोनातीन कोनों का समाहार
पंजाबपाँच आबों का समाहार
षड्ररसषट् रसों का समाहार
चतुर्वेदचार वेदों का समाहार
दुअन्नीदो आनों का समाहार
द्विगुदो ( गौओं )गायों का समाहार
सप्तशतीसात सौ का समाहार
सप्ताहसात दिनों का समाहार
अष्टसिद्धिआठ सिद्धियों का समूह

उत्तर पद द्विगु के हिन्दी उदाहरण..

दुपहरदूसरा पहर
दुधारीदो धारों वाली
पंचप्रमाणपांच प्रमाण
दुसूतीदो सूतों वाला
पंचहत्थड़पाँच हत्थड़ (हैंडल)
शतांशशत अंश

नोट ..यदि दोनो पद संख्यावाची होगा , तो वह द्विगु समास नहीं होगा। अनेक बहुब्रीहि समास में भी पूर्व पद संख्या वाचक होता है। ऐसी अवस्था में समास विग्रह से ही जाना जा सकता है, कि बहुब्रीहि है या द्विगु।

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