कर्मधारय समास .…समानाधिकरण तत्पुरुष

कर्मधारय समास को समानाधिकरण तत्पुरुष भी कहते हैं। यह तत्पुरुष समास का ही प्रकार है।

समानाधिकरण अर्थात दोनों पद विशेषण विशेष्य भाव में हों। कर्ता कारक के हों अर्थात दोनों पदों की विभक्ति एक ही हो तथा उनके लिंग वचन भी एक समान हों।

इस समास के दो मुख्य भेद द्रष्टव्य हैं..

1.. विशेषण -विशेष्य कर्मधारय

* विशेषण पूर्व पद कर्मधारय

* विशेषण उभय पद कर्मधारय

2.. उपमेय- उपमान कर्मधारय

*..उपमान पूर्व पद कर्मधारय

*..उपमान उत्तरपद कर्मधारय

विशेषण-विशेष्य / विशेषण पूर्व पद

जब समास का प्रथम पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य होता है, तो इसे विशेषण पूर्व पद कर्मधारय कहते हैं।

इसका विग्रह करने में विशेष्य अर्थात दूसरे पद की विभक्ति , वचन तथा लिंग के अनुसार तत् इदम् या एतत् के रूप लगाये जाते हैं। इनके न लगने पर भी काम चल् जाता है।

उदाहरण…..

संस्कृत विग्रहसमस्तपदहिन्दी विग्रह
सुन्दरः चासौ बालकःसुन्दरबालकःसुन्दर जो बालक
मधुरं च तत् फलम्मधुरफलंमधुर जो फल
श्रेष्ठाः च ते पुरुषाःश्रेष्ठपुरुषःश्रेष्ठ जो पुरुष
कृष्णः सर्पःकृष्णसर्प :काला सर्प
नीलं उत्पलम्नीलोत्पलंनीला कमल
रक्तं कमलम्रक्तकमलम्लाल कमल
अन्धं च तत् तमम्अन्धतमम्अन्धा करने वाला तम
सर्वा च असौ रात्रिसर्वरात्रःसम्पूर्ण रात्रि
कुत्सित ग्रामःकुग्रामःबुरा गांव
कुत्सित पुरुषःकुपुरुषःबुरा पुरुष
कुत्सित पुरुषःकिम्पुरुषःछोटा पुरुष
कुत्सित सखाकिंसखाबुरा मित्र
महान देवःमहादेवःमहान देव
पवित्रं मनःपवित्रमनःपवित्र मन
विस्तृता नाटिकाविस्तृतनाटिका
विकसितानि पुष्पाणिविकसितपुष्पाणि
पुष्पितः वृक्षःपुष्पित वृक्षःपुष्पित वृक्ष
श्रान्तः पथिकःश्रान्तपथिकःश्रान्त पथिक
महान् आत्मामहानात्मामहान आत्मा
स्वच्छं जलम्स्वच्छजलम्स्वच्छ जल
शीतलम् सलिलंशीतलसलिलंशीतल सलिल
कुत्सितं अन्नंकदन्नम्बुरा अन्न

नोट…समास में संधि अवश्य करनी चाहिये।

महाराजामहान राजा
श्वेताम्बरश्वेत अम्बर
सज्जनसत् जन्
पीतांबरपीत अम्बर
नीलगायनीली गाय
नवयुवकनया युवक
सद्भावनासत् भावना
महावीरमहान वीर

विशेषण उभय पद कर्मधारय ….

इस समास में विशेषण का विशेषण के साथ समास होता है। इसमें दोनों पद विशेषण होता हैं।

जैसे…पीतकृष्णः

श्वेतकृष्णः

सुप्तोत्थितः

चराचरम्

कृताकृतम्

हिन्दी उदाहरण…

नीलपीत

शीतोष्ण

क्रताकृत

कृष्णलोहित

नोट..विशेषण उभय पद कर्मधारय समास के विग्रह में यह ध्यान रखना चाहिये कि दोनों पदों के बीच और जैसा अव्यय शब्द न आये , क्योंकि ‘और’ लगने से दोनों पद संज्ञा बन जाते हैं , वे विशेषण नहीं रह जाते हैं।

जैसे..

*..आप क्यों लाल पीले हो रहे हैं। इस वाक्य में लालपीले होने का अर्थ है क्रोधित होना।

*.. इस आलमारी में लाल और पीले वस्त्र रखे हुए हैं। इस वाक्य में लाल और पीले अलग अलग रंग को सूचित कर रहे हैं जो कि संज्ञा है तथा द्वन्द्व समास का उदाहरण है , विशेषण उभय पद कर्मधारय का नहीं।

उपमान पूर्व पद कर्मधारय समास .

जिसकी उपमा देते हैं, तथा जिस शब्द से देते हैं, वह उपमान वाचक शब्द जब पहले आता है तो उसे उपमान पूर्व पद कर्मधारय कहते हैं।

इस समास में विग्रह करते समय दो पदों के मध्य में इव का प्रयोग किया जाता है।

उपमेय..अर्थात जिसके लिये उपमा दी जाती है, उसे उपमेय कहते हैं।

उपमान….जिस शब्द से उपमा दी जाती है, उसे उपमान कहते हैं।

जैसे…घनश्यामः = घन इव श्यामः अर्थात घन के समान श्याम….यहां श्याम को घन की उपमा दो गई है जो कि श्याम से पहले आया है । अतः यह उपमान पूर्व पद का उदाहरण है।

अन्य उदाहरण….

चन्द्राह्लादकःचन्द्र इव आह्लादकः
कमलकोमलंकमल इव कोमलं
कज्जलमलिनंकज्जल इव मलिनं
मीननयनममीन इव नयनम्
कमलनयनम्कमलम् इव नयनम्
विद्युद्वेगःविद्युत् इव वेगः

हिन्दी उदाहरण..

घनश्यामघन के समान श्याम
शैलोन्नतशैल के समान उन्नत
विद्युद्वेगविद्युत के समान वेग
कर्पूरगौरम्कर्पूर के समान गौर=गोरा
कमलनयनकमल के समान नयन
लौहपुरुषलोहे के समान पुरुष
प्राणप्रियप्राण के समान प्रिय

उपमान उत्तर पद कर्मधारय समास

जब उपमेय और उपमान दोनों साथ साथ आते हैं, तो उसे उपमान उत्तरपद कर्मधारय कहते हैं।यहां उपमान प्रथम शब्द न हो कर दूसरा होता है। इसलिये इसे उपमान उत्तर पद कर्मधारय कहते हैं।

इस समास के विग्रह में दोनों पदों के अन्त में इव लगाया जाता है। दोनों पदों की…(उपमान उपमेय )विभक्ति एक ही होती है।

जैसे.. मुखकमलम् =मुखम् कमलम् इव यहां कमल , जिससे मुख की उपमा दी गई है, वह मुख के बाद आया है।

मुखम् और कमलम् दोनों पदों कि विभक्ति एक है तथा इव का प्रयोग अन्त में हुअ है।

अन्य उदाहरण..

पुरुषव्याघ्रःपुरुषः व्याघ्रः इव
चरण कमलचरण कमल इव
मुख कमलम्मुख कमलम् इव
शोकाग्निःशोक अग्निः इव
पुरुषसिंहःपुरुषः सिंहः इव
राजीवलोचनंलोचनं राजीवः इव
कुसुमकोमलंकोमलम् कुसुमम् इव
पुरुषर्षभःपुरुषः ऋषभः इव

नोट..इस समास का विग्रह एव लगा कर भी किया जाता है। इस विग्रह में समास रूपक कर्मधारय हो जाता है।

जैसे..शोकाग्निः = शोक एव अग्निः

विद्याधनम् = विद्या एव धनम्

परीक्षापयोधिः = परीक्षा एव पयोधिः

पुरुषव्याघ्रः = पुरुष एव व्याघ्रः

हिन्दी उदाहरण…

मुखचन्द्रमुख ही चन्द्र है
विद्यारत्नविद्या ही रत्न है
पुरुषरत्नपुरुष ही है रत्न
भाष्याब्धिभाषा ही है अब्धि
पुत्ररत्नपुत्र ही है रत्न

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