व्यञ्जन संधि व उसके भेद/ vyanjan sandhi v uske bhed…
व्यंजन संधि की परिभाषा तथा व्यंजन संधि के भेद या प्रकार तथा उदाहरण
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व्यंजन संधि की परिभाषा तथा व्यंजन संधि के भेद या प्रकार तथा उदाहरण
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स्वर संधि परिभाषा तथा भेद… स्वर संधि किसे कहते हैं? उससे पहले यह जानना महत्वपूर्ण है कि संधि किसे कहते हैं? संयोग किसे कहते हैं? संधि और संयोग में क्या अंतर है.. संधि की परिभाषा ..संधि का शाब्दिक अर्थ मेल होता है ,जो दो पक्षों के मध्य किसी नियम या शर्त के अंतर्गत होती है।
संस्कृत में वाच्य परिवर्तन कैसे करते हैं? संस्कृत में वाच्य परिवर्तन के कुछ नियम हैं जो इस प्रकार हैं… १.. कर्तृ वाच्य से कर्म वाच्य -परिवर्तन कर्तृ वाच्य से कर्म वाच्य परिवर्तन में निम्नलिखित नियम होते हैं…. ** कर्ता प्रथमा विभक्ति से तृतीया विभक्ति में परिवर्तित हो जाता है। ** कर्म प्रथमा विभक्ति में परिवर्तित
वाच्य किसे कहते हैं.. संस्कृत में वाच्य ….. वाच्य किसे कहते हैं. वाच्य का क्या अर्थ होता है? वाच्य के कितने भेद हैं ? वाच्य का अर्थ होता है…. वाक्य के कथन का प्रकार । क्योंकि…. एक ही वाक्य को कई प्रकार से बोला या कहा जा सकता है। जैसे… बालिका लिखति…. बालिकया लिख्यते… लड़की लिखती है।
वर्ण वर्ण के प्रकार….. वर्णों के उच्चारण स्थान और प्रयत्न वर्ण विचार….वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है। ये भाषा की मूल ध्वनियां हैं । इन सार्थक ध्वनियों से पद या शब्द बनते हैं। शब्दों से वाक्य बनते हैं। वाक्य से भाषा बनती है । भाषा वह माध्यम है,जिसके द्वारा मनुष्य अपने मन के भावों और विचारों
माहेश्वर सूत्र का परिचय… माहेश्वर सूत्र आचार्य पाणिनि द्वारा रचित “अष्टाध्यायी “में वर्णित हैं। ये संख्या में १४ हैं।ये सूत्र पाणिनीय व्याकरण की नींव हैं। माहेश्वर सूत्र संस्कृत व्याकरण का मूल आधार है। जिस प्रकार हर भाषा की वर्णमाला होती है, जिसमें उस भाषा के वर्ण एक निश्चित व व्यवस्थित क्रम में होते हैं, उसी प्रकार संस्कृत भाषा
माहेश्वर सूत्र क्या हैं../ Maheshwar sutra kya hain… प्रत्याहार कैसे बनाते हैं.. Read More »