जिस समास में पूर्व पद की प्रधानता हो तथा सामासिक पद अव्यय बन जाता हो , उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं।
अव्ययीभाव अर्थात जो अव्यय नहीं था , उसका अव्यय हो जाना ।इस समास का सामासिक पद अर्थात समास करने के बाद बना हुआ शब्द ” क्रिया विशेषण अव्यय बन जाता है।”
इसमें प्रथम पद प्रायः उपसर्ग आदि अव्यय होता है तथा दूसरा पद संज्ञा शब्द होता है । दोनों मिल् कर अव्यय बन जाते हैं।
संस्कृत में किसी अव्ययीभाव शब्द का रूप नहीं चलता है। समास का जो दूसरा पद होता है उसका रूप नपुंसकलिङ्ग के एक वचन के जैसा होता है।
जैसे…यथा कामम् = कामनम् अनतिक्रम्य इति।
इस उदाहरण में दो पद हैं यथा और काम इसमें यथा शब्द प्रधान है। दूसरा शब्द पुलिङ्ग् है।दोनों का समास हो कर अव्यय बन गया।
संस्कृत में सामासिक पद के अव्यय बन जाने के कारण वह पद नपुंसक लिङ्ग प्रथमा विभक्ति एक वचन के रूप में होता है।
अव्ययीभाव समास के कुछ नियम..
समास करते समय दूसरे पद का अन्तिम वर्ण दीर्घ हो तो उसे ह्रस्व कर दिया जाता है।
जैसे..नद्याः समीपे = उपनद्यम् यहां नद्याः के आ को अ कर दिया गया है।
यदि अन्त में ए या ऐ हो तो उसके स्थान पर इ तथा यदि अन्त में ओ या औ हो तो उसके स्थान पर उ हो जाता है।
जैसे..उप + वधू = वध्वाः समीपे =उपवधु
यहां बधू का ऊ , उ में परिवर्तित हो गया ।
यदि दूसरे शब्द के अन्त में अन् हो तो अन् का लोप हो जाता है, तथा टच् प्रत्यय का अ जुड़ जाता है।
जैसे.. उप+राजन् =राज्ञः समीपे उपराज
काल से अतिरिक्त अर्थ में सह का स हो जाता है। काल वाचक शब्द के साथ समास करने पर सह ही रहता है।
जैसे…
अधि हरि | हरौ अधि |
अधिगोपं | गोपि अधि |
उपकृष्णम् | कृष्णस्य समीपम् |
सुमद्रम् | मद्राणां समृद्धिः |
सुधान्यम् | धान्यस्य समृद्धिः |
दुर्यवनम् | यवनानांव्यृद्धिः |
निर्मक्षिकम | मक्षिकाणां अभावः |
निर्जलम् | जलस्य अभावः |
निरङ्कुशम् | अङ्कुशस्य अभावः |
निर्विघ्नं | विघ्नस्य अभावः |
अतिनिद्रम् | निद्रा संप्रति न युज्यते |
अतिहिमम् | हिमस्य अत्ययः |
इति हरि | हरिशब्दस्यप्रकाशः |
अनुविष्णुः | विष्णोः पश्चात् |
अनुवृष्टिः | वृष्टेः पश्चात् |
अनुरामम् | रामस्य पश्चात् |
अनुरथम् | रथस्य पश्चात् |
अनुरुपम् | रूपस्य योग्यम् |
प्रत्यर्थम् | अर्थं अर्थं प्रति |
प्रतिदिनं | दिनं दिनं प्रति |
यथाशक्ति | शक्तिम् अनतिक्रम्य |
सहरिम् | हरेः सादृश्यं |
अनुज्येष्ठं | ज्येष्ठस्यअनुपूर्व्येण |
सचक्रम् | चक्रेण युगपत् |
उपशरदं | शरदः समीपम् |
उपजरसं | जरायाः समीपम् |
उपचर्मम् | चर्मणः समीपम् |
उपसमिधम् | समिधः समीपे |
उपवृक्षम् | वृक्षस्य समीपम् |
उपनीडं | नीडस्य समीपम् |
अध्यात्मम् | आत्मनि |
अव्ययी भाव के हिन्दी उदाहरण ..
आजन्म | जन्म से तक |
आमरण | मरण तक |
आकण्ठ | कण्ठ से लेकर |
यथाशक्ति | शक्ति के अनुसार |
यथासमय | समय के अनुसार |
प्रतिदिन | दिन दिन |
प्रतिवर्ष | प्रत्येक वर्ष |
प्रतिक्षण | क्षण – क्षण |
अनुरूप | रूप के योग्य |
निर्जन | जनों का अभाव |
धीरे धीरे | ……. |
यथार्थ | अर्थ के अनुसार |
यथाशीघ्र | जितना शीघ्र हो सके |
यथासंख्य | संख्या के अनुसार |
यथासमय | समय के अनुसार |
यथास्थान | स्थान के अनुसार |
यथारुचि | रुचि के अनुसार |
यथासंभव | जितना संभव हो |
यथा मति | मति के अनुसार |
यथाविधि | विधि के अनुसार |
प्रत्युपकार | उपकार के प्रति |
प्रत्यक्ष | अक्षि ( आंख ) के प्रति |
परोक्ष | अक्षि के परे |
समक्ष | अक्षि के सामने |
प्रत्येक | एक-एक |
आद्योपान्त | आदि से अन्त तक |
आजीवन | जीवन भर |
निर्विकार | बिना विकार के |
निर्भय | बिना भय के |
आजानु | घुटने तक |
व्यर्थ | बिना अर्थ के |
मनमाना | मन के अनुसार |
कुछ ऐसे समास जो अव्यय नहीं हैं परन्तु उनके समस्त पद अव्यय बन जाते हैं…
जैसे..
हाथों हाथ | हाथ ही हाथ में |
रातों रात | रात ही रात में |
गली गली | प्रत्येक गली |
कर्मधाराय समास के लिए इसे पढ़ें ..
तत्पुरुष समास के लिए इसे पढ़ें…