निपात किसे कहते हैं..

निपात किसे कहते हैं…निपात शब्द की व्युत्पत्ति इस प्रकार हुई है…..

नि(उपसर्ग )+ पत् (धातु )+घञ(प्रत्यय ) से बना है।

इनका प्रयोग वाक्य में किसी बात पर विशेष बल देने के लिये किया जाता है।

अनेक प्रकार के अर्थों में प्रयुक्त होने के कारण कुछ शब्द निपात कहे जाते हैं।ये शब्द भाव प्रधान नहीं होते हैं।

“वाक्य में कारक आदि संबंधों के बिना कहीं भी निपातित होने के कारण ये निपात कहे जाते हैं।”

निपात किसे कहते हैं.. परिभाषा…

“वाक्य में प्रयुक्त ऐसे सहायक पद जो किसी पद (शब्द)के साथ आ कर उसके अर्थ को विशेष बल प्रदान करते हैं उन्हें, निपात कहते हैं “।

जैसे..

मैं कठिन से कठिन कार्य कर सकता हूं।(सामान्य अर्थ)

मैं भी कठिन से कठिन कार्य कर सकता हूं।

मैं ही कठिन से कठिन कार्य कर सकता हूं।

मैं कठिन कार्य नहीं कर सकता हूं।

उपरोक्त वाक्यों में निपात के कारण अर्थ में भी परिवर्तन हुअ है।

वाक्य में निपात का स्थान बदलने से उनके अर्थ में भी परिवर्तन आ जाता है।

जैसे.. मै भी समोसा खाऊंगा।

मैं समोसा भी खाऊंगा।

पहले वाक्य में “भी “निपात..मैं पर बल दे रहा है।अर्थात इस वाक्य में लग रहा है की कोई दूसरों को समोसे खाते देख कर समोसा खाने को बोल रहा है।

जबकि दूसरे वाक्य में आया “भी “निपात समोसे पर बल से रहा है। जिससे यह लग रहा है कि खाने वाला अन्य वस्तुओं के साथ समोसे भी खाना चाहता है।

यास्क के अनुसार….निपात किसे कहते हैं

अथ निपाताः उच्चावचेषु अर्थेषु निपतन्ति ..अपि उपमार्थे। अपि कर्मोप संग्रहार्थे। अपि पद पूरणः”। अर्थात

निपात वे पद हैं जो कभी उपमा के अर्थ में कभी कर्मोपसंग्रह के अर्थ में , तो कभी पद पूरण के लिये , वाक्य में आवश्यकता के अनुसार प्रयोग किये जाते हैं

निपात का कोई लिङ्ग वचन नहीं नहीं होता है।इनका भी प्रयोग अव्यय की भांति होता है। इनके रूप में भी किसी भी कारण कोई परिवर्तन नहीं होता है।

निपात का अपना कोई अर्थ नहीं होता है। इनका प्रयोग वाक्य के अर्थ को छवि प्रदान करने के लिये या किसी बात पर विशेष बल देने के लिये होता है।

ये अव्यय की भांति प्रयोग तो किये जाते हैं , फिर भी ये शुद्ध अव्यय नहीं होते हैं।

अव्यय जब वाक्य में प्रयोग किये जाते हैं , तो उनका एक विशेष अर्थ होता है, पर निपात के साथ ऐसा नहीं है।

दीमशित्स के अनुसार ” वाक्य में निपात के प्रयोग से उस वाक्य का समग्र अर्थ व्यक्त होता है।

यास्क के अनुसार..

निपात भी सार्थक वर्ण समुदाय हैं। इन्हें तीन भागों में विभाजित किया गया है….

1..उपमनार्थक..इव, न, चित् तथा नु उपमा के लिये प्रयुक्त होते हैं।

2..कर्मोपसंग्रह..ये ऐसे निपात पद हैं जिनके आने से पृथकता का बोध होता है।

ये दो या अधिक सामासिक पदों के बीच आ कर अर्थों की भिन्नता को निश्चित रूप से सूचित करते हैं। च , वा , अह , खलु , ह , किल, हि, ननु , नूनम् आदि।

पादपूरण…ये निरर्थक निपात कहे जाते हैं। ये किसी गद्य या पद्य में वाक्य पूर्ति या छन्द पूर्ति के लिये प्रयोग किये जाते हैं।

अर्थात छन्दपूर्ति ही इनके प्रयोग का प्रयोजन होता है। कम्, इम् ,इत् , उ आदि इस प्रकार के निपात होते हैं।

निपात के कार्य या प्रयोग..

वाक्य में निपात का प्रयोग निम्नलिखित अर्थ में होता है..

1..प्रश्न पूछना

2..अस्वीकृति..

3..बोलने वाले का कथन के प्रति भाव

4..वाक्य में किसी शब्द पर बल देना..

जैसे..सही बात तुम भी नहीं जानते हो।

विद्यालय का वार्षिक उत्सव कल ही है।

निपात किसे कहते हैं

निपात के प्रकार..

1.स्वीकारार्थक निपात.. हाँ , जी , जी हां

2.नकारार्थक.. नहीं , न , जी नहीं

3.निषेधात्मक… मत

4.प्रश्नबोधक… क्या , क्यों , न?

5.विस्मय बोधक निपात…. काश , क्या

6.बलदायक या सीमा बोधक निपात..तो, ही, भी, तक , जो , न सिर्फ , केवल

7.तुलनार्थक निपात… सा

8.आदरसूचक निपात.. जी

9.अवधारणार्थक… ठीक, लगभग, करीब

10.निर्देशार्थक निपात.. लो ,कीजिये

11.ध्यानाकर्षक निपात..भर, केवल, मात्र सिर्फ

1..स्वीकारार्थक निपात …

ये सदा वाक्य के आरंभ में ही आते हैं। इनका प्रयोग किसी वाक्य में पूछी गई बात या प्रश्न का स्वीकार करना या किसी कथन की पुष्टि करना या किसी बात का सही होना , आदि के लिए होता है।

स्वीकारार्थक निपात में सबसे ज्यादा प्रचलित “हाँ ” निपात है। जैसे..

हाँ , ये सब लोग वृंदावन उद्यान घूमने जायेंगे।

जी हाँ , मैंने समान आपके घर पहुंचा दिया है।

जी , गुरुजी मैं आपकी आज्ञा के अनुसार कार्य करूंगा ।

हाँ जी , सब कुशल मंगल है।

2..नकारार्थक निपात..

किसी बात को स्वीकार न करने का या किसी बात पर अस्वीकृति व्यक्त करने का यह एक प्रमुख निपात है। जैसे ..

उन्हें इतने जल्दी अध्यक्ष नहीं बनाया जा सकता।

मुझे झूठ बोलना पसंद नहीं है।

नहीं,मैं नहीं आ सकता।

3..निषेधार्थक निपात ..

मत निषेधार्थक निपात है। यह वाक्य में क्रिया के पूर्व या पश्चात, दोनों जगह आ सकता है। जैसे..

मुझसे लड़ो मत ।

उसे मत मारो।

मत रोओ।

मत जाओ।

मुझसे बात मत करना ।

आज के बाद मुझे अपना चेहरा मत दिखाना।

4… प्रश्नार्थक निपात ..

यह वाक्य का प्रश्नार्थक रूप व्यक्त करता है।यह बहुधा वाक्य के आरंभ में आता है। कभी अवधारणा के लिए इसका प्रयोग वाक्य के अंत में भी कर दिया जाता है। जैसे..

क्या आप मेरा एक काम करेंगे?

क्यों निपात का प्रयोग संबोधन के साथ किया जाता है।

क्यों जी! आज अभ्यास नहीं करोगे?

क्यों भाई ! आज उठने का इरादा नहीं है?

न और ना , प्रश्नार्थक वाक्यों के अंत में वक्ता के अनुतान के अनुसार प्रयुक्त होते हैं।

जैसे .. आप कानपुर से आए हैं ना?

क्यों मैं सच कह रहा हूं न ?

5.. विस्मयादि बोधक निपात ..

क्या और काश कथन को अधिक अभिव्यंजक बनाते हैं। जैसे..

क्या सुन्दर प्रस्तुति दी है।

काश आपने यह पहले बताया होता ।

निपात किसे कहते हैं

6..बल दायक या सीमा बोधक निपात …

.तो, ही, भी, तक , जो , न , (ना) सिर्फ , केवल ,ये बाल प्रदायक निपात हैं। जैसे ..

उसे तो प्रथम स्थान प्राप्त करना चाहिए।

आप ठीक तो हैं।

मुझे पता नहीं था कि आप हैं, नहीं तो मैं आपसे मिलने आ जाता ।

उस लड़के की तबियत खराब है , तो भी वह कार्य कर रहा है।

मुझे बोलो तो सही , मैं तुम्हारा काम करवा दूंगा ।

मोहन के पास एक ही पेन है।

तुमसे तेज तो मैं दौड़ सकती हूं।

हम सब तुम्हारी ही बात कर रहे थे।

रमेश ज्यों ही बाहर निकला , त्यों ही वर्षा होने लगी।

मैने थोड़े ही उसका कांच तोड़ा।

तुम भले ही मुझसे नाराज़ रहो पर खाना खा लो।

वह शायद ही यहां आए।

वह कदाचित ही घर पर मिले।

जिसका जितना ही जतन उसका उतना ही पतन।

7…ध्यानाकर्षण या सीमाबोधक निपात ..

इनका प्रयोग शब्दों की ओर तर्कसंगत ध्यान दिलाने के लिए, किया जाता है। जैसे..

तुम साल भर पढ़े , पर परीक्षा में सफल नहीं हुए।

तुम रास्ते भर बात करते रहे।

झगड़ा अभी शांत भी नहीं हुआ कि फिर से शुरू हो गया।

छोड़ो भी इन बातों को।

मेरे मना करने पर भी वह प्रतिदिन जाता है।

आप केवल / सिर्फ हां कर दीजिए मैं वहां चला जाऊंगा।

आपके कहने मात्र से मेरा काम हो जायेगा।

यश अपने पिता की एकमात्र संतान है।

निपात किसे कहते हैं…

8.. तुलनात्मक निपात…सा ..

इसका प्रयोग वाक्य में संज्ञाओं, सर्वनामों, विशेषण तथा क्रियाओं तथा क्रिया विशेषणों के साथ तुलना , समानता, अनुरूपता व्यक्त करने के लिए होता है। जैसे ..

प्रभु के चरण कमल से हैं।

उसका हृदय फूल सा कोमल है।

ऊंचे पर्वत शिखर पर उड़ता कोहरा धुंए के पुंज सा प्रतीत होता है।

कितनी पागलों सी हरकतें हैं तुम्हारी।

9.. आदरसूचक निपात

आदरसूचक निपात किसे कहते हैं…

इसके अंतर्गत जी का प्रयोग किया जाता है। तथा संबोधित व्यक्ति के लिये आदर का भाव दिखाने के लिये प्रयोग किया जाता है।

प्रधानमन्त्री जी , गुरुजी , पिता जी, माता जी , तिवारी जी आदि।

यह निपात व्यक्तिवाचक तथा जातिवाचक संज्ञा के साथ भी प्रयुक्त होता है।

पिता जी ! मैं कभी आपको अकेला नहीं छोडूंगा।

10….अवधारणा बोधक ..

अवधारणाबोधक निपात किसी कार्य या स्थिति की ओर इङ्गित करते हैं।

ठीक , लगभग करीब तकरीबन आदि पद इस निपात के अन्तर्गत आते हैं।

जैसे..ठीक , यही जगह है।

आज लगभग चार बजे आ जाना।

वह करीब दो दिन पहले आया था।

तकरीबन एक महीने में निर्माण कार्य पूरा हो जायेगा।

11..निर्देशार्थक निपात किसे कहते हैं

लो ,भोजन तैयार है।

अव्यय के लिये इसे देखिये

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