Sanskrit Me Lakar संस्कृत में लकार.

Sanskrit Me Lakar..संस्कृत में लकार का प्रयोग काल के लिये होता है। ये संख्या में दस (10) हैं। लट्, लृट्, लोट् , लङ्ग, विधिलिङ्ग,लिट्, लुट्, लिङ्ग, लुङ्ग लृङ्ग । इन सबका नाम ‘ल’ से है अतः इन्हें लकार कहा जाता है।इन लकारों का क्रियाओं से अत्यन्त निकट संबन्ध होता है।

ये विभिन्न कालों के वाचक हैं। तथा साथ ही कुछ लकार आज्ञा, निमन्त्रण आदि विशेष अर्थ के लिये भी हैं।एक और लकार है…लेट् लकार। इसका प्रयोग केवल वैदिक संस्कृत में होता है।

बहुधा लट्, लृट्, लोट् लङ्ग व विधिलिङ्ग तथा लिट् लकार का प्रयोग होता है।

1..लट् लकार

वर्तमान काल के अर्थ में लट् लकार का प्रयोग होता है। इसमें क्रिया आरम्भ तो होती है पर समाप्त नहीं होता है। जैसे.. सः खादति.. वह खाता है।

पठतिपठतःपठन्ति
पठसिपठथःपठथ
पठामिपठावःपठामः

लट् लकार के वाक्य ..

1..सः पठति। वह पढ़ता है।

2..रमा लेखं लिखति। रमा लेख लिखती है।

3..रामः श्यामः च विद्यालयं गच्छतः। राम और श्याम विद्यालय जाते हैं।

4..त्वं गीतं गायसि। तुम गीत गाती हो।

5..वयं प्रातः ईश्वरम् भजामः। हम सब प्रातः इश्वर को भजते हैं।

नोट…लट् लकार के धातु रूप के साथ स्म जोड देने से वह भूत काल.. लङ्ग लकार के अर्थ वाला हो जाता है। जैसे..

सः खादति। वह खाता है। सः खादति स्म। उसने खाया।

2..लृट् लकार..

लृट् लकार सामान्य भविष्य काल को द्योतित करता है। जब क्रिया का काम आने वाले समय में अर्थात भविष्य काल में होता है तब लृट् लकार होता है। इसका रूप इस प्रकार है..

पठिष्यतिपठिष्यतःपठिष्यन्ति
पठिष्यसिपठिष्यथःपठिष्यथ
पठिष्यामिपठिष्यावःपठिष्यामः

वाक्य…

1..बालकाः सायं गमिष्यन्ति। अर्थात बालक शाम को जायेंगे।

2.. भवती कथम न आगमिष्यति? आप क्यों नहीं आयेंगी?

3.. प्रातः पुनः भविष्यति? सुबह फिर होगी।

4. त्वं अद्य न लेखिष्यसि। तुम आज नहीं लिखोगी।

5.. अहं अत्र स्वप्स्यामि। मैं यहां सोऊंगा।

Sanskrit Me Lakar संस्कृत में लकार..

3..लोट् लकार..

आज्ञा प्रार्थना इच्छा तथा आशीर्वाद के अर्थ में लोट् लकार का प्रयोग होता है। इसका रूप इस प्रकार है..

पठतुपठतामपठन्तु
पठ्पठतम्पठत्
पठानिपठावपठाम
लोट् लकार के वाक्य …

1.. अत्र उपविश। यहां बैठो।

2.. अहं सर्वदा पठानि। मैं सदा पढ़ूं।

3.. सः खादतु। वह खाए।

4..लङ्ग लकार..अनद्यतन भूत काल

अनद्यतन भूतकाल के अर्थ में लङ्ग लकार का प्रयोग होता है। अनद्यतन अर्थात जो कार्य आज न हुआ हो।

अपठत्अपठताम्अपठतन्
अपठ:अपठतम्अपठत
अपठतम्अपठावअपठाम
वाक्य..

1.. सः अपठत्। उसने पढ़ा।

2. अहं अयच्छम्। मैने दिया।

3.. कविता अगायत्। कविता नें गाया।

4.. यूयं ह्यः अलिखत्। तुम सब नें कल लिखा।

5..विधिलिङ्ग लकार..l

चाहिये के अर्थ में विधिलिङ्ग लकार का प्रयोग होता है। विधि =आज्ञा, निमन्त्रण, आमन्त्रण,संप्रश्न और प्रार्थना इन अर्थों में भी विधिलिङ्ग लकार का प्रयोग होता है।

अंग्रेजी में May, shall, should, will, would, could, might आदि द्वारा बनाने वाले सभी स्थान पर संस्कृत में विधिलिङ्ग लकार का प्रयोग होता है।

विधिलिंग लकार का रुप…

पठेतपठेताम्पठेयुः
पठे:पठेतम्पठेत
पठेयम्पठेवपठेम्
उदाहरण..

1.. माता पुत्रं पश्येत्। माता पुत्र को देखे।

2.. भृत्यःतत्र गच्छेत्। नौकर वहां जाये। ( the servant should go there.)

3.. सत्यं ब्रूयात्। सत्यबोलन चहिये। (Truth must be spoken )

4.. वयं किं कुर्याम्? हम क्या करें / हमें क्या करना चहिये? What should we do?

6..लिट् लकार..परोक्ष भूत

भूत काल. की उस अवस्था को बताने के लिये लिट् लकार का प्रयोग होता है जिसे वक्ता अर्थात बोलने वाले नें स्वयं न देखा हो।

आंखों के सामने पारित होने वाले भूत काल को परोक्ष भूत कहते हैं। परोक्ष भूत काल के अर्थ में लिट् लकार का प्रयोग होता है।

लिट् लकार रूप..

पपाठ पेठतुः पेठुः
पेपिठ पेठतुः पेठः
पपाठपेठिवपेठिम

वाक्य..

1.. रामः वनम् जगाम । राम वन को गये।

2.. रामः रावणं ममार। राम नें रावण को मारा।

3.. सुप्तोऽहं किल विललाप। मैने सोने में (नींद में ) विलाप किया।

7..लुट् लकार…अनद्यतन भविष्यत् काल

गत रात्रि के बारह बजे से आने वाले रात्रि के बारह बजे तक के समय को अद्यतन कहा जाता है। आगामी रात्रि के बारह बजे के बाद के समय को अनद्यतन कहा जाता है। इसी अर्थ में लुट् लकार का प्रयोग होता है।

लुट लकार रूप ..

पठितापठितारौपठितारः
पठितासिपठितास्थःपठितास्थ
पठितास्मिपठितास्वःपठितास्मः

वाक्य..

1..अहं श्वः गन्तास्मि। मैं कल जाऊंगा।

2.. तौ परश्वः क्रीडितारौ। वे दोनों परसों खेलेंगे।

3.. त्वं पठितासि। तुम पढ़ोगे।

4..त्वं कदा लेखितासि? तुम कब लिखोगे?

8..लुङ्ग लकार.. सामान्य भूतकाल..

सामान्य भूतकाल के कार्य को लक्षित करने के लिये लुङ्ग लकार का प्रयोग होता है। प्रत्येक प्रकार के भूत काल को व्यक्त करने के लिये लुङ्ग लकार का प्रयोग होता है।

लुङ्ग लकार का रूप..

अपाठीत्अपाठिष्टाम्अपाठिषु
अपाठी:अपाठिष्टम्अपाठिष्ट
अपाठिषम्अपाठिष्वअपाठिष्म्

वाक्य.

1..सः अपाठीत्। उसने पढ़ा।

2..तौ अपाठिष्टाम्। उन दोनों नें पढ़ा।

3..अहं अपाठिषम्। मैने पढ़ा।

4..अहं अद्य आगमम्। मैं आज आया।

5..सः अधुनैव अहौषीत्। उसने अभी हवन किया।

6..मा कुरु रोषम्। क्रोध मत करो।

7..क्लैव्यम् मा स्मगमः पार्थ।

9..लृङ्ग लकार..कृयातिपत्ति

(condition)

हेतु हेतुमद् भूत काल..

लृङ्ग निमित्ते लृङ्ग क्रियातिपत्तौ इस सूत्र के अनुसार..’यदि ऐसा होता तो ऐसा होता ‘ जैसे शर्त युक्त वाक्यों में इस लकार का प्रयोग होता है। अर्थात एक क्रिया का होना दूसरी क्रिया पर निर्भर होता है। जैसे.. यदि उसने परिश्रम किया होता, तो फेल नहीं होता।

लृङ्ग लकार का रूप..

अपठिष्यत्अपठिष्यताम्अपठिष्यन्
अपठिष्य:अपठिष्यतम्अपठिष्यत
अपठिष्यम्अपठिष्यावअपठिष्याम्

वाक्य..सः/सा अपठिष्यत्। उसने पढ़ा होता।

तौ/ते अपठिष्यताम्। उन दोनों नें पढ़ा होता।

ते/ताः अपठिष्यन्। उन सब् नें पढ़ा होता।

1.सु वृष्टिः चेत् अभिवष्यत् तर्हि दुर्भिक्षं न अभिवष्यत्।

यदि अच्छी वर्षा होती, तो दुर्भिक्ष नहीं होता।

2..यदि सः आगमिष्यत् तर्हि अहं तेन सह अगमिष्यम्। यदि वह आता तो मैं उसके साथ जाता।

10..आशीर्लिङ्ग..

आशीर्लिङ्ग का प्रयोग आशीर्वादात्मक होता है। अर्थात आशीर्वाद देने के लिये आशीर्लिङ्ग का प्रयोग होता है।

आशीर्लिङ्ग का रूप..

पठ्यात्पठ्यास्ताम्पठ्यासुः
पठ्या:पठ्यास्तम्पठ्यास्त
पठ्यासम्पठ्यास्वपठ्यास्म

वाक्य..

1..सः राजा जीयात्। वह राजा विजयी हो।

2..त्वं चिर् जीव्या। तुम चिरंजीवी हो।

3..अन्धकाराः नश्यासुः। अन्धकार का नाश हो।

इति संस्कृत लकार परिचय। Sanskrit Me Lakar

प्रश्न – उत्तर..

1..प्रश्न.. भविष्य काल के लिये किस लकार का प्रयोग होता है।

उत्तर… लृट् लकार का।

2.. प्रश्न.. पठताम् यह किस लकार का रूप है?

उत्तर..लोट् लकार का

3.. अनद्यतन भूत के लिये किस लकार का प्रयोग होता है?

उत्तर.. लङ्ग लकार का।

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