कारक किसे कहते हैं…

परिभाषा.. भेद व उदाहरण

कारक किसे कहते हैं….. कारक शब्द कृ धातु से बना है। करोति इति कारकः। अर्थात जो क्रिया को करता है,उसे कारक कहते हैं। कारक के कारण वाक्य में आए हुए शब्दों का क्रिया के साथ साक्षात सम्बंध बनता है। सबसे महत्वपूर्ण बात कि वाक्य, सार्थक वाक्य अर्थात एक निश्चित अर्थ देने वाला वाक्य बनता है।

एक ही क्रिया एक या अनेक कारकों की सहायता से सिद्ध होती है। इसलिए एक वाक्य में अनेक कारक भी पाए जाते हैं।

कारक किसे कहते हैं.. कारक की परिभाषा…

क्रिया के साथ साक्षात सम्बंध रखने वाले विभक्ति युक्त पदों को कारक कहते हैं।

अथवा

संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य के अन्य शब्दों के साथ उनका सम्बंध ज्ञात होता है , उसे कारक कहते हैं।

जैसे.. रक्षित ने विद्यालय में मोहन के लिए कलम से पत्र लिखा।

इस वाक्य मे “लिखा “यह क्रिया है। क्रिया को करने वाला रक्षित है। रक्षित के क्रिया करने का असर पत्र पर पड़ा। पत्र , कलम की सहायता से लिखा गया। विद्यालय में लिखा गया, इसलिये विद्यालय आधार है। मोहन के लिए लिखा गया अतः मोहन प्रयोजन है। इस प्रकार रक्षित ने,पत्र कलम से ,विद्यालय में , तथा मोहन के लिए , का क्रिया से सीधा सम्बन्ध है। अतः ये सब कारक हैं।

कारक की परिभाषा तथा उदाहरण से यह बात सुस्पष्ट होती है , कि वाक्य में आए हुए “ने ,को, के लिए, पर” आदि जुड़ने के बाद ही शब्द ,पद बनते हैं तथा वाक्य के अन्य शब्दों के साथ जुड़ते हैं , और कारक कहलाते हैं। कारक किसे कहते हैं ? यह बात निम्नलिखित उदाहरण से और अधिक स्पष्ट हो जायेगी…

जैसे.. अध्यापक ने छात्रों को घास के मैदान में दूरबीन से हाथी दिखाया ।

यदि आप वाक्य में आए हुए ” ने ,को, से, में ” आदि को हटा कर देखे तो … अध्यापक छात्र घास मैदान दूरबीन हाथी ये केवल शब्द रह गए हैं । न तो ये वाक्य बन सकते हैं , ना ही सम्पूर्ण अर्थ व्यक्त कर सकते हैं।

कारक के चिह्न या परसर्ग

वाक्य में संज्ञा शब्दों के साथ जो , … ने , को, से , के द्वारा आदि आते हैं , इन्हें कारक – चिह्न कहते हैं। इन्हें परसर्ग भी कहा जाता है। कारकों को इनके द्वारा प्रकट किया जाता है । ये वाक्य में कारक की पहचान कराते हैं , तथा वाक्य के शब्दों को एक दूसरे से जोड़ते हैं।

कारक के भेद तथा कारक चिन्ह ..

क्रम संख्याकारकचिन्ह
कर्ताने
कर्मको
करणसे.. के द्वारा
संप्रदानके लिए
अपादानसे अलग होने के अर्थ में
संबंधका के की ,ना ने नी
अधिकरणमें पर
संबोधनहे ! अरे !

कारकऔर विभक्ति

कारक के भेद..

१..कर्ता कारक किसे कहते हैं…

कर्ता अर्थात करने वाला। जो क्रिया को करने वाला हो या जिसके अनुसार क्रिया चलती है।

परिभाषा….क्रिया के करने वाले को कर्ता कहते हैं। कर्ता कारक का पहचान चिह्न ने होता है।

नोट .. वाक्य में एक से अधिक कर्ता भी हो tसकते हैं।

जैसे.. विघ्नेश सरोवर में स्नान करता है। इस वाक्य में स्नान करने की क्रिया विघ्नेश करता है। अतः विघ्नेश कर्ता है। इस वाक्य में एक कर्ता है।

विघ्नेश ,राम , मोहन , रमेश, हर्षित सरोवर में स्नान करते हैं। इस वाक्य में विघ्नेश ,राम , मोहन , रमेश, हर्षित ये सभी कर्ता हैं

कर्ता कारक के उदाहरण

१..कविता प्रतिदिन विद्यालय जाती है।

२..मैंने उसे बुलाया ।

३.. साधु भिक्षा मांगता है।

४..सैनिक देश की रक्षा करते हैं।

५.. अध्यापक छात्रों को पढ़ा रहे हैं।

६.. प्रधानमंत्री जी ने देश को संबोधित किया।

७.. मैं झूठ नहीं बोलता हूं।

८..अर्जुन ने जयद्रथ का वध किया ।

९..डाकिया पत्र लाता है।

१०..पक्षी आकाश में उड़ते हैं।

२..कर्म कारक किसे कहते हैं..

परिभाषा …वाक्य में आए हुए जिस संज्ञा या सर्वनाम शब्द पर क्रिया का फल पड़ता है,उसे कर्म कारक कहते हैं। ।

जैसे … अवि विद्यालय जाता है। इस वाक्य में अवि द्वारा जाने का असर विद्यालय पर पड़ रहा है। अतः विद्यालय में कर्म कारक है।

कर्म कारक का चिह्न को है। पर कहीं कहीं पर यह प्रकट नहीं रहता है।जैसे…”अवि विद्यालय जाता है ” इस वाक्य में को नहीं है परंतु विद्यालय कर्म है ।

अन्य उदाहरण ..

१.. राम ने रावण को मारा ।

२.. बच्चे सिनेमा देखने गए।

३.. मजदूर को सांप ने काटा।

४.. वह रामायण पढ़ता है।

५.. कवि कविता लिखता है ।

६.. उषा ने पुस्तक पढ़ी।

७.. मैं कल आगरा जाऊंगा ।

८.. ममता नीलम को समझाती है।

९.. मां बच्चे को दूध पिलाती है।

१०.. पुलिस ने चोर को मारा ।

३..करण कारक ….करण अर्थात साधन

परिभाषा…वाक्य में कर्ता द्वारा जिस साधन से या माध्यम से क्रिया की जाती है,उसे करण कारक कहते हैं। इसका चिह्न .. से , के द्वारा है।

जैसे.. वह कलम से लिखता है। इस वाक्य में लिखने की क्रिया कलम से होती है। अतः ‘कलम से ‘ में कारण कारक है। अन्य उदाहरण.

१..हमने दूरबीन से तारों को देखा ।

२.. सिपाही डंडे से चोर को मारता है।

३..मंत्र उच्चारण से मन शुद्ध होता है।

४.. लक्षित साइकिल से विद्यालय जाता है ।

५.. वह कुल्हाड़ी से वृक्ष कटता है।

६.. दिनेश पैरों से लंगड़ा है।

७.. वह आंखों से काना है।

८.. विद्या से ज्ञान प्राप्त होता है।

९.. विमला ने अपने नृत्य के द्वारा सबका मन मोह लिया।

१०..सज्जनों की संगति से बुद्धि और ज्ञान प्राप्त होता है।

४..संप्रदान कारक किसे कहते हैं..

जहां किसी को कुछ दिया जाय या किसी के लिए कुछ किया जाय या करने की इच्छा प्रकट हो वहां संप्रदान कारक होता है। संज्ञा के जिस रुप से यह ज्ञात हो कि उसके लिए कुछ किया जा रहा है, उसमे संप्रदान कारक होता है।

परिभाषा ” कर्ता जिसके लिए कार्य करता है या जिसे कुछ देता है उसे संप्रदान कारक कहते हैं । जैसे…

राजा ब्राह्मण को गाय देता है। इस वाक्य में राजा ब्राह्मण को गाय देने का कार्य कर रहा है, अतः ‘ ब्राह्मण को ‘ में संप्रदान कारक है।

इसका पहचान चिह्न ..को , के लिए है।

उदाहरण ..

१.. दादा जी ने बच्चों को मिठाई बांटी।

२.. वह अध्ययन के लिए विद्यालय जाता है।

३.. यह लकड़ी चारपाई बनाने के लिए है।

४.. वह भिखारी को अन्न देता है।

५.. माता हमारे लिए भोजन बनाती है।

६.. मुख्यमंत्री ने बाढ़ प्रभावित लोगो के लिए अनाज और वस्त्र बंटवाए।

नोट .. नमस्कार आदि के अर्थ में भी संप्रदान कारक होता है।

जैसे .. गुरु जी को प्रणाम।

माता पिता को प्रणाम

५..अपादान कारक किसे कहते हैं

अपादान से किसी स्थान या वस्तु से अलग होने का बोध होता है। जहां दो के बीच में तुलना करना हो या प्रेम, घृणा ईर्ष्या, द्वेष , डर या सीखना आदि भाव यदि व्यक्त करना है, वहां अपादान कारक का प्रयोग किया जाता है।

परिभाषा ..वाक्य में आए जिस पद से अलग होने का भाव प्रकट होता है,उसे अपादान कारक कहते हैं। अपादान कारक का पहचान चिह्न से .. (अलग होने के अर्थ ) में है।

जैसे ..पेड़ से पत्ते गिरते हैं। इस वाक्य में ‘से ‘अलग होने के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। क्योंकि पत्ते जब गिरते हैं तो वे पेड़ से अलग हो जाते हैं। अन्य उदाहरण…

१.. गंगा हिमालय से निकलती है।

२.. वह घर से बाहर निकल आया।

३.. जंगल के जानवर बाघ से डरते हैं।

४..मुझे झूठ बोलने से घृणा है।

५.. वह बाजार से घर नहीं लौटा।

६.. कविता मुझसे शरमाती है।

७.. वह मित्र को पाप से हटाता है।

८.. वह उपाध्याय से रामायण पढ़ता है।

९.. ब्रह्मा से प्रजा उत्पन्न होती है।

१०..कामेश मोहन से सुंदर है।

११.. अजय मोटर साइकिल से गिर गया।

६…सम्बंध कारक किसे कहते हैं…

परिभाषा….शब्द का वह रुप जिससे किसी व्यक्ति या पदार्थ का किसी दूसरे व्यक्ति या पदार्थ से संबंध प्रकट हो, उसे संबंध कारक कहते हैं। इसका पहचान चिह्न का , के , की , ना , ने , नी , रा , रे , री है । जैसे ..

१..भगवान राम दशरथ के पुत्र थे

२..यह मीरा का घर है।

३..अपनी पुस्तक उसे दे दो।

४.. आज सरोज की बहन का जनम दिन है।

५.. प्रेमचंद्र जी के उपन्यास बहुत प्रसिद्ध हैं।

६..वह सोने का आभूषण धारण करता है।

७.. मेरे पिताजी शिव के भक्त हैं।

८.. सीता का मुख चंद्रमा के समान सुन्दर है।

९.. कालीदास ने रघुवंश महाकाव्य की रचना की।

१०..राह का थका व्यक्ति गहरी नींद सोता है।

ना , ने , नी के उदाहरण ..

१.. अपना धन सम्हाल कर रखना चाहिए।

२.. वह मछली पालन से अपनी जीविका चलाता है।

सर्वनाम की स्थिति में संबंध कारक में रा, रे ,री ना ,ने , नी हो जाता है। जैसे .. मेंरा भाई , तुम्हारी बहन , मेरे पड़ोसी, अपना धन , अपनी जीविका , आदि ।

७…अधिकरण कारक किसे कहते हैं…

जिस स्थान या वस्तु पर कोई कार्य होता है, उसे अधिकरण कहते हैं।

परिभाषा …..वाक्य में क्रिया का आधार समय व आश्रय बताने वाले शब्दों को अधिकरण कारक कहते हैं। यह आधार तीन प्रकार का होता है ।

१.. स्थान .. वाक्य में क्रिया का स्थान बताने वाले पद जैसे .. वृक्ष पर , कक्षा में

२.. समय.. क्रिया का समय बताने वाले पद जैसे .. दो मिनट में, एक घंटे में।

३.. भाव .. जब क्रिया ही क्रिया का आधार हो । जैसे.. मीरा पढ़ने में तेज है।

अधिकरण कारक का पहचान चिह्न में , पर होता है।

उदाहरण ..१.. बंदर पेड़ पर चढ़ गया।

२.. मेज पर पुस्तक रखी है।

३.. अर्जुन ने कर्ण को युद्ध भूमि में मारा ।

४.. प्रार्थना सभा में बहुत लोग उपस्थित थे।

५..दूध में हल्दी मिलाकर पियो।

६..वह घर पर व्यायाम करता है।

८..समुद्र में बड़ी बड़ी मछलियां हैं।

९.. साधु वन में निवास करता है।

१०..बच्चा कुएं में गिर पड़ा।

११. पांडवों में भीम सबसे अधिक बलवान थे।

१२.. वृक्ष पर फल है।

किसी किसी वाक्य में अधिकरण कारक का चिह्न ( में या पर ) लुप्त भी रहता है।

१..इन दिनों वह मैसूर रहता है।

२..भगवान करे आप घर खुशियां बरसे।

३..उसके घर बच्चे पढ़ने आते हैं।

८…संबोधन कारक किसे कहते हैं..

परिभाषा….वाक्य में आए जिस संज्ञा पद का प्रयोग किसी को पुकारने , बुलाने , संबोधित करने या सावधान करने के लिए किया जाता है ,उसे संबोधन कारक कहते हैं।

संबोधन करने ,या बुलाने का कार्य प्रायः कर्ता के लिए ही होता है। इसका पहचान चिह्न हे! अरे! ,भो! है।

१.. अरे नीरज ! तुम्हे क्या पुरस्कार मिला?

२.. हे भगवान ! हमारी रक्षा करो।

३.. बच्चों ! उधर मत जाना ।

४.. भाइयों और बहनों ! इस सभा में आपका स्वागत है।

५.. हे मोहन ! यहां आओ।

६.. हे मुनिवर ! आपका स्वागत है।

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