वर्णों का उच्चारण स्थान किसे कहते हैं? कहां कहां से वर्णों का उच्चारण करते हैं..
वर्णों का उच्चारण स्थान किसे कहते हैं? कहां कहां से वर्णों का उच्चारण करते हैं… इस आर्टिकल में हम ये जानेंगे…
मुख का वह भाग जिनका प्रयोग करके वर्णों का उच्चारण करते हैं,
जिह्वा, मुख के जिन भागों का स्पर्श करती है, तथा
मुख से बाहर निकलने वाली वायु मुख के अंदर जिन भागों से टकराती हुई बाहर आती है,वे भाग वर्णों के उच्चारण स्थान कहे जाते हैं।
वर्णों का उच्चारण स्थान…
कौन से वर्ण का उच्चारण स्थान क्या है…ये निम्नलिखित हैं…
कंठ…
सूत्र….
अकुहविसर्जनीयानामकंठ: …
अर्थात अ, आ क, ख, ग, घ ङ, तथा ह इनका उच्चारण स्थान कंठ है।इस आधार पर ये वर्ण कंठ्य कहे जाते हैं।
तालु…
सूत्र..इचुयशानाम तालु:
इ,ई च, छ , ज, झ,ञ, य तथा श इन वर्णों का उच्चारण स्थान तालु है। इनके उच्चारण करते समय जिह्वा मुख के ऊपरी भाग का स्पर्श करती है।इस कारण इन्हें तालव्य व्यंजन कहते हैं।
मूर्द्धा…
ऋ टु षाणांमूर्द्धा…
ऋ , टवर्ग … ट, ठ, ड , ढ, ण , रऔर ष का उच्चारण स्थान मुर्द्धा है। इसलिए ये वर्ण मूर्धन्य कहे जाते हैं।
- वर्णविचार
दन्त्य…
सूत्र…लृ-तु-ल-सानां दन्ता:
लृ, तवर्ग.… त, थ, द, ध, न, ल,तथा स का उच्चारण स्थान दंत होता है,इसलिए ये व्यंजन दंत्य कहे जाते हैं।
ओष्ठ.
ओष्ठ.
सूत्र..उ-पु-उपध्मानीयानाम्ओष्ठौ
उ, ऊ पवर्ग अर्थात प, फ, ब, भ, म तथा उपध्मानीय ( विसर्ग के बाद आने वाले प, फ) व्यंजन का उच्चारण स्थान ओष्ठ है। इसलिए ये व्यंजन ओष्ठ्य कहे जाते हैं।..
निम्नलिखित व्यञ्जन उपधमानीय कहे जाते हैं..
नासिका
ञ-म-ङ-ण-नानां नासिका च ..
ञ-म-ङ-ण-न अर्थात प्रत्येक वर्ग का पांचवां वर्ण तथा अनुस्वार का उच्चारण स्थान नासिका है। इसलिए ये व्यंजन नासिक्य कहे जाते हैं।
कंठ-तालु …
सूत्र..एदैतो: कंठतालु:
ए, ऐ का उच्चारण स्थान कंठ तालु है।अ+ई=ए तथा अ+ए =ऐ दो वर्णों से मिल कर बने हैं ए और औ, इसलिए इनका उच्चारण स्थान कंठ और तालु दोनों है। इसलिए इन्हें कंठतालव्य कहा जाता है।
कंठोष्ठ्य
सूत्र…ओदौतो: कंठोष्ठम ..
ओ तथा औ का उच्चारण स्थान कंठ ओष्ठ है । इनके उच्चारण करते समय कंठ और ओष्ठ दोनों का प्रयोग होता हैं। अतः ये व्यंजन कंठोष्ठ्य कहे जाते हैं।
दंतोष्ठ…
सूत्र..वकारस्य दंतोष्ठम.
व का उच्चारण स्थान दंत ओष्ठ है। व का उच्चारण करते समय ओष्ठ के साथ दंत का भी प्रयोग किया जाता है। इसलिए इसे दंतोष्ठ्य कहा जाता है।
जिह्वामूल..
सूत्र….“जिह्वामूलीयस्य जिह्वामूलम् । ”
अर्थात जिह्वा मूल का उच्चारण स्थान जिह्वा मूल है। जिह्वा का मूल स्थान अर्थात सबसे पीछे का भाग होता है। अतः इन्हें जिह्वा मूल कहते हैं।
वर्णों के उच्चारण स्थान की तालिका