वाच्य किसे कहते हैं.. संस्कृत में वाच्य …..
वाच्य किसे कहते हैं. वाच्य का क्या अर्थ होता है? वाच्य के कितने भेद हैं ?
वाच्य का अर्थ होता है…. वाक्य के कथन का प्रकार । क्योंकि….
एक ही वाक्य को कई प्रकार से बोला या कहा जा सकता है। जैसे…
बालिका लिखति…. बालिकया लिख्यते…
लड़की लिखती है। लड़की के द्वारा लिखा जाता है।
रामः पठति……रामेन् पठ्यते ।
राम पढ़ता है। राम द्वारा पढ़ा जाता है।
बालकः पत्रम् लिखति….
बालकेन पत्रः लिख्यते।
बालक पत्र लिखता है। बालक द्वारा पत्र लिखा जाता है।
इन वाक्यों में भाव एक ही है ,परंतु अलग अलग ढंग से कहा गया है।…
त्वं पठसि
युवाम् पठथः,
यूयं पठथ्।
रवि गाना गाता है।
रवि द्वारा गाना गाया जाता है।
रवि से गाया नहीं जाता है।
रमा गाना गाती है।
सूरज गुरू को प्रणाम करता है।
सूरज द्वारा गुरू को प्रणाम किया जाता है।
इस प्रकार वाक्य के कथन में वाक्य में कुछ परिवर्तन हो जाता है … जैसे… गाता है, गाती है, गाया जाता है, प्रणाम करता है, प्रणाम किया जाता है… इत्यादि ।
यह परिवर्तन वाक्य में जो क्रिया शब्द हैं, उनके रूप में हुआ है। क्रिया का यह परिवर्तन किसी वाक्य में कर्ता के अनुसार हुआ है ,किसी वाक्य में कर्म के अनुसार हुआ है।
वाच्य किसे कहते हैं.. वाच्य की परिभाषा
वाक्य में कर्ता, कर्म या भाव के अनुसार क्रिया के रूप में हुए परिवर्तन को वाच्य कहते हैं।
क्रिया के इस रूप परिवर्तन से यह बोध होता है कि वाक्य में कर्ता ,कर्म या भाव में से किसकी प्रधानता है,तथा वाक्य में क्रिया का संबन्ध कर्ता से है, कर्म से है या भाव से है।
इस प्रकार क्रिया के रुप परिवर्तन के आधार पर वाच्य के तीन प्रकार हैं….
१…कर्तृ वाच्य
२…कर्म वाच्य
३…भाव वाच्य
कर्तृ वाच्य किसे कहते हैं..
जब वाक्य में कर्ता मुख्य होता है, और क्रिया का रूप कर्ता के अनुसार होता है ,तो वहां कर्तृ वाच्य होता है।
क्रिया के पुरुष तथा वचन कर्ता के अनुसार होते हैं।
अर्थात यदि कर्ता प्रथम पुरुष एक वचन में है तो क्रिया भी प्रथम पुरुष एक वचन की होगी।
कर्तृ वाच्य में अगर कर्ता पुल्लिंग में है,तो क्रिया उसके ही अनुरूप होगी।
*वाक्य में यदि कर्म है, तो उसके अनुसार क्रिया का रूप नहीं बदलेगा।
*कर्तृ वाच्य में क्रिया सकर्मक और अकर्मक दोनो हो सकती है।
*( सकर्मक… “कविता पुस्तक पढ़ती है।” इस वाक्य में पुस्तक कर्म है।)
*(अकर्मक… दिनेश जाता है। इस वाक्य में कोई कर्म नहीं है।)
** कर्तृ वाच्य में कर्ता में प्रथमा विभक्ति होती है।
**कर्म में( यदि हो तो) द्वितीया विभक्ति होती है।
** क्रिया के पुरुष तथा वचन कर्ता के अनुसार होते हैं।जैसे..
१..बालकः पुस्तकम् पठति..।
बालक पुस्तक पढ़ता है।
बालक शब्द प्रथम पुरुष एक वचन में है,इसलिए पठति क्रिया भी प्रथम पुरुषएक वचन में प्रयोग हुई है।
२.. बालकौ पुस्तकम् पठतः।
दो बालक पुस्तक पढ़ते हैं।
वाक्य संख्या २ में बालकौ द्वि वचन है इसलिए पठतः भी द्वि वचन में प्रयोग हुआ है।
३.. त्वं पुस्तकम् पठसि। ..
तुम पुस्तक पढ़ते हो।
त्वम् मध्यम पुरुष एक वचन का रूप है, इसलिए पठसि क्रिया रूप भी मध्यम पुरुष एक वचन में प्रयोग हुई है।
४.. माता भोजनं पचति।
माता भोजन पकाती है।
५.. उमेशः गीतं गायति।
उमेश गीत गाता है।
६..त्वं कुत्र गच्छसि?
तुम कहां जाते हो?
उपरोक्त सभी वाक्यों में क्रिया का रूप कर्ता के अनुसार परिवर्तित हुआ है।
वाच्य परिवर्तन
वाच्य किसे कहते हैं..
कर्म वाच्य…
जब वाक्य में कर्म की प्रधानता होती है,तब कर्म वाच्य होता है।
कर्म वाच्य सकर्मक धातुओं के साथ होता है। अर्थात वाक्य में कर्म अवश्य होता है।
कर्म वाच्य में कर्ता में तृतीया विभक्ति, कर्म में प्रथमा विभक्ति तथा क्रिया कर्म पद के अनुसार होती है,
तथा क्रिया सदा आत्मने पद में होती है।
जैसे…
१..बालकेन ग्रन्थः दृश्यते।
बालक द्वारा ग्रंथ देखा जाता है।
२.. मया पत्रः लिख्यते। ….
मेरे द्वारा पत्र लिखा जाता है।
३.. त्वया भोजनम् खाद्यसे ….
तुम्हारे द्वारा भोजन खाया जाता है।
४.. चन्द्रेण् तमः हन्यते।
चन्द्रमा द्वारा अन्धकार दूर किया जाता है।
५…बालकेन् युवाम् दृष्यथे।
लड़के द्वारा तुम दोनों देखे जाते हो।
उपरोक्त वाक्यों में ग्रंथः पत्र:,भोजनम् तमः आदि जो कर्म हैं, उनके अनुसार ही क्रिया के रूप में परिवर्तन हुआ है।
वाक्य संख्या१ में ग्रंथः प्रथम पुरुष एक वचन है,इसलिए दृश्यते क्रिया भी प्रथम पुरुष एक वचन में है।
वाक्य संख्या ६ में युवाम् (तुम दोनो) द्वि वचन है, इसलिए क्रिया दृष्यथे द्वि वचन की है।
३…भाव वाच्य…..
जब वाक्य में भाव ( क्रियात्व) की प्रधानता होती है , अर्थात जब वाक्य में क्रिया का संबंध कर्ता या कर्म से न हो कर भाव से होता है, तो वहां भाव वाच्य होता है ।
*भाव वाच्य में क्रियाअकर्मक होती है। अर्थात वाक्य में कर्म नहीं होता है।
* क्रिया सदा आत्मनेपद में होती है।
* क्रिया सदा प्रथम पुरुष एक वचन की होती है। अर्थात क्रिया का रूप लिंग ,वचन और पुरुष के अनुसार नहीं बदलता है।
*कर्ता में तृतीया विभक्ति होती है।
जैसे .. १..छात्रेण् उपविष्यते।
छात्र द्वारा बैठा जाता है।
२.. छात्रै: उपविष्यते
छात्रों द्वारा बैठा जाता है।
३.. बालकैः गम्यते।
बालकों द्वारा जाया जाता है।
४.. बालकेन गम्यते।
बालक द्वारा जाया जाता है।
उक्त उदाहरणों से स्पष्ट होता है, कि कर्ता के पुरुष तथा वचन से क्रिया में कोई परिर्वतन नहीं हुआ है। वह सदा प्रथम पुरुष एक वचन की ही है।
वाक्य संख्या १.. में छात्रेण में एक वचन है,तथा वाक्य संख्या २… में छात्रै: बहु वचन है, तथापि दोनो वाक्यों में क्रिया एक प्रथम पुरुष एक वचन की प्रयोग की गई है
वाच्य का अर्थ होता है…. वाक्य के कथन का प्रकार । क्योंकि….
एक ही वाक्य को कई प्रकार से बोला या कहा जा सकता है। जैसे…
बालिका लिखति…. बालिकया लिख्यते …
रामः पठति……रामेन् पठ्यते
बालकः पत्रम् लिखति….
बालकेन पत्रः लिख्यते।
इन वाक्यों में भाव एक ही है ,परंतु अलग अलग ढंग से कहा गया है।…
त्वं पठसि
युवाम् पठथः,
यूयं पठथ्।
रवि गाना गाता है।
रवि द्वारा गाना गाया जाता है।
रवि से गाया नहीं जाता है।
रमा गाना गाती है।
सूरज गुरू को प्रणाम करता है।
सूरज द्वारा गुरू को प्रणाम किया जाता है।
इस प्रकार वाक्य के कथन में वाक्य में कुछ परिवर्तन हो जाता है … जैसे… गाता है, गाती है, गाया जाता है, प्रणाम करता है, प्रणाम किया जाता है… इत्यादि ।
यह परिवर्तन वाक्य में जो क्रिया शब्द हैं, उनके रूप में हुआ है। क्रिया का यह परिवर्तन किसी वाक्य में कर्ता के अनुसार हुआ है ,किसी वाक्य में कर्म के अनुसार हुआ है।
वाच्य की परिभाषा….
वाक्य में कर्ता, कर्म या भाव के अनुसार क्रिया के रूप में हुए परिवर्तन को वाच्य कहते हैं।
क्रिया के इस रूप परिवर्तन से यह बोध होता है कि वाक्य में कर्ता ,कर्म या भाव में से किसकी प्रधानता है,तथा वाक्य में क्रिया का संबन्ध कर्ता से है, कर्म से है या भाव से है।
इस प्रकार क्रिया के रुप परिवर्तन के आधार पर वाच्य के तीन प्रकार हैं….
१…कर्तृ वाच्य
२…कर्म वाच्य
३…भाव वाच्य
१…कर्तृ वाच्य किसे कहते हैं….
जब वाक्य में कर्ता मुख्य होता है, और क्रिया का रूप कर्ता के अनुसार होता है ,तो वहां कर्तृ वाच्य होता है। क्रिया के पुरुष तथा वचन कर्ता के अनुसार होते हैं।
अर्थात यदि कर्ता प्रथम पुरुष एक वचन में है तो क्रिया भी प्रथम पुरुष एक वचन की होगी।
कर्तृ वाच्य में अगर कर्ता पुल्लिंग में है,तो क्रिया उसके ही अनुरूप होगी।
*वाक्य में यदि कर्म है, तो उसके अनुसार क्रिया का रूप नहीं बदलेगा।
*कर्तृ वाच्य में क्रिया सकर्मक और अकर्मक दोनो हो सकती है।
*( सकर्मक… “कविता पुस्तक पढ़ती है।” इस वाक्य में पुस्तक कर्म है।)
*(अकर्मक… दिनेश जाता है। इस वाक्य में कोई कर्म नहीं है।)
संस्कृत में कर्तृ वाच्य में कर्ता में प्रथमा विभक्ति ,और कर्म में( यदि हो तो) द्वितीया विभक्ति होती है।
क्रिया के पुरुष तथा वचन कर्ता के अनुसार होते हैं।जैसे..
१..बालकः पुस्तकम् पठति..।
बालक पुस्तक पढ़ता है।
बालक शब्द प्रथम पुरुष एक वचन में है,इसलिए पठति क्रिया भी प्रथम पुरुषएक वचन में प्रयोग हुई है।
२.. बालकौ पुस्तकम् पठतः।
दो बालक पुस्तक पढ़ते हैं।
वाक्य संख्या २ में बालकौ द्वि वचन है इसलिए पठतः भी द्वि वचन में प्रयोग हुआ है।
३.. त्वं पुस्तकम् पठसि। ..
तुम पुस्तक पढ़ते हो।
त्वम् मध्यम पुरुष एक वचन का रूप है, इसलिए पठसि क्रिया रूप भी मध्यम पुरुष एक वचन में प्रयोग हुई है।
४.. माता भोजनं पचति।
माता भोजन पकाती है।
५.. उमेशः गीतं गायति।
उमेश गीत गाता है।
६..त्वं कुत्र गच्छसि?
तुम कहां जाते हो?
उपरोक्त सभी वाक्यों में क्रिया का रूप कर्ता के अनुसार परिवर्तित हुआ है।
२…कर्म वाच्य ..
जब वाक्य में कर्म की प्रधानता होती है,तब कर्म वाच्य होता है।
कर्म वाच्य सकर्मक धातुओं के साथ होता है। अर्थात वाक्य में कर्म अवश्य होता है।
कर्म वाच्य में कर्ता में तृतीया विभक्ति, कर्म में प्रथमा विभक्ति तथा क्रिया कर्म पद के अनुसार होती है,तथा क्रिया सदा आत्मने पद में होती है।
जैसे…
१..बालकेन ग्रन्थः दृश्यते।
बालक द्वारा ग्रंथ देखा जाता है।
२.. मया पत्रः लिख्यते। ….
मेरे द्वारा पत्र लिखा जाता है।
३.. त्वया भोजनम् खाद्यसे ….
तुम्हारे द्वारा भोजन खाया जाता है।
४.. चन्द्रेण् तमः हन्यते।
चन्द्रमा द्वारा अन्धकार दूर किया जाता है।
५…बालकेन् युवाम् दृष्यथे।
लड़के द्वारा तुम दोनों देखे जाते हो।
उपरोक्त वाक्यों में ग्रंथः पत्र:,भोजनम् तमः आदि जो कर्म हैं, उनके अनुसार ही क्रिया के रूप में परिवर्तन हुआ है।
वाक्य संख्या१ में ग्रंथः प्रथम पुरुष एक वचन है,इसलिए दृश्यते क्रिया भी प्रथम पुरुष एक वचन में है।
वाक्य संख्या ६ में युवाम् (तुम दोनो) द्वि वचन है, इसलिए क्रिया दृष्यथे द्वि वचन की है।
३…भाव वाच्य …..
जब वाक्य में भाव ( क्रियात्व) की प्रधानता होती है , अर्थात जब वाक्य में क्रिया का संबंध कर्ता या कर्म से न हो कर भाव से होता है, तो वहां भाव वाच्य होता है ।
*भाव वाच्य में क्रियाअकर्मक होती है। अर्थात वाक्य में कर्म नहीं होता है।
* क्रिया सदा आत्मनेपद में होती है।
* क्रिया सदा प्रथम पुरुष एक वचन की होती है। अर्थात क्रिया का रूप लिंग ,वचन और पुरुष के अनुसार नहीं बदलता है।
*कर्ता में तृतीया विभक्ति होती है।
जैसे .. १..छात्रेण् उपविष्यते।
छात्र द्वारा बैठा जाता है।
२.. छात्रै: उपविष्यते
छात्रों द्वारा बैठा जाता है।
३.. बालकैः गम्यते।
बालकों द्वारा जाया जाता है।
४.. बालकेन गम्यते।
बालक द्वारा जाया जाता है।
उक्त उदाहरणों से स्पष्ट होता है, कि कर्ता के पुरुष तथा वचन से क्रिया में कोई परिर्वतन नहीं हुआ है। वह सदा प्रथम पुरुष एक वचन की ही है।
वाक्य संख्या १.. में छात्रेण में एक वचन है,तथा वाक्य संख्या २… में छात्रै: बहु वचन है, तथापि दोनो वाक्यों में क्रिया एक प्रथम पुरुष एक वचन की प्रयोग की गई है।